सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। समावजादी पार्टी (Samajwadi Party) एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने पहले हिंदू ग्रंथ पर विवादित टिप्पणी की थी अब वह उस पर सफाई दे रहे हैं। बुधवार (8 फरवरी) को उन्होंने ट्वीट कर कहा कि कुछ लोग इस मामले को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। जिस पर उन्हें आड़े हाथों लेते हुए सुभासपा नेता अरुण राजभर ने कहा कि सीधे कहिए हमें सत्ता की मलाई खाने की ललक है।
रामचरितमानस से जोड़कर मामले को भटकाने की कोशिश कर रहे लोग
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा, “मानस की आपत्तिजनक कुछ चौपाइयों को संशोधित और प्रतिबंधित करने की मांग को कुछ लोग श्रीराम, हिंदू धर्म और रामचरितमानस से जोड़कर मामले को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे ही लोग महिलाओं, आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों के 97% आबादी के सम्मान के विरोधी हैं।”
इन्हें सत्ता की मलाई खाने की ललक – अरुण राजभर
स्वामी प्रसाद के इस ट्वीट पर जवाब देते हुए सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) नेता अरुण राजभर (Arun Rajbhar) ने मौर्य को मलाई खाने वाला कहा। सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) के बेटे अरुण ने ट्विटर पर लिखा, “ये पूरे राजनैतिक सफर में लंबे समय तक सत्ता की मलाई खाए हैं,तब महिलाओं, आदिवासियों, पिछड़ों, दलितों- वंचितों का उत्थान करने की चिंता नहीं रही, तब सिर्फ अपना ही उत्थान करने में लगे रहे जब सत्ता से बेदखल हुए तो इनको दलित पिछड़े याद आने लगे हैं, सीधे कहिए हमें सत्ता की मलाई खाने की ललक है।
Swami Prasad Maurya के बहिष्कार की मांग
इससे पहले पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने रामचरितमानस पर छिड़े विवाद को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्या के बहिष्कार की मांग की। उन्होंने कहा, “जब स्वामी प्रसाद बसपा सरकार में सत्ता का सुख भोग रहे थे तब उन्हें रामचरित मानस की चौपाई क्यों याद नहीं आई? तब वो रामचरित मानस पर फूल माला चढ़ाकर आरती उतारते रहे और पिछड़े- दलितों की याद उन्हें नहीं आई। अब जब सत्ता से बेदखल हो गए तो मानस के प्रसंग याद आने लगे। ऐसे नेताओं का बहिष्कार होना चाहिए।”
दरअसल, हाल ही में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी करते हुए उस पर बैन लगाने की मांग की थी। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि रामचरितमानस में जो भी विवादित अंश है उसे निकाल देना चाहिए।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."