परवेज़ अंसारी की रिपोर्ट
गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने के लिए जब राफेल उड़ा तो ऐसे लगा कि जमीन पलटकर आसमान हो गई है और आसमान जमीन पर आ गया है। अंदर बैठे पायलट के चेहरे पर न कोई शिकन न ही कोई डर। हमारे वायुवीर उसे ऐसे उड़ा रहे हैं जैसे उनके हाथ में कोई खिलौना हो। ये वीडियो बनाया तो भारतीय वायुसेना ने। लेकिन इसे ट्वीट किया रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ए. भारत भूषण बाबू ने।
रनवे से उठते ही एकदम 90 डिग्री एंगल पर सीधे आसमान की तरफ ऐसे बढ़ा राफेल जैसे अभी उसका सीना चीर कर दुश्मन के रोंगटे खड़े कर देगा। इस Video में आपको राफेल की संतुलन, उड़ान और सक्षमता का पता चलेगा। राफेल फाइटर जेट का कॉकपिट कितना एडवांस है, ये वीडियो आपको उसका आनंद दिला देगा। आप इस वीडियो को देखते समय महसूस करेंगे कि इस फाइटर जेट को आप खुद उड़ा रहे हैं।
कर्तव्यपथ पर जाते समय और उसके बाद भी राफेल के अंदर और बाहर लगे कैमरों से जो नजारा दिखा, वो हैरान कर देता है। किसी को अंदाजा नहीं होगा कि एक फाइटर जेट दिल्ली की खूबसूरती को किस तरह दिखा सकता है। आइए अब आपको बताते हैं कि इस फाइटर जेट की क्या खासियत है।
क्यों जरूरी है राफेल फाइटर जेट?
राफेल फाइटर जेट अंबाला और हासीमारा एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात हैं। ताकि पाकिस्तान और चीन दोनों को समय रहते काउंटर किया जा सके। चीन से सटी लद्दाख और पाकिस्तान की सीमाओं की निगरानी हो सके। जरूरत पड़ने पर तेजी से हमला कर सकें। इससे चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर दुश्मन किसी भी तरह की हिमाकत करने से डरेगा।
हासीमारा एयरफोर्स स्टेशन पश्चिम बंगाल में भारतीय वायुसेना का सबसे जरूरी बेस है। यह सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर है. चुंबी वैली से नजदीक है। चुंबी वैली सिक्किम, भूटान और चीन का ट्राई-जंक्शन है। यानी यहां पर राफेल की तैनाती से पूरे उत्तर-पूर्व में चीन की हर नापाक हरकत पर भारतीय वायुसेना नजर रख सकेगी। राफेल की मल्टीरोल कॉम्बैट प्रणाली उसे ऐसे दुर्गम इलाकों में भी दुश्मन के छक्के छुड़ाने के लिए काफी है। इसके अलावा असम के तेजपुर और छाबुआ में सुखोई-30एमकेआई फाइटर जेट भी तैनात हैं। राफेल और सुखोई अगर एकसाथ आसमान में उड़ जाएं तो दुश्मन की हालत खराब हो जाती है।
रॉफेल का कॉम्बैट रेडियस 3700 KM है, जबकि चीन के स्वदेशी फाइटर जेट J-20 का 3400 किलोमीटर है. यानी हमारा लड़ाकू विमान 300 किलोमीटर ज्यादा उड़ सकता है। राफेल में तीन तरह की मिसाइलें लगेंगी। हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर मिसाइल। हवा से जमीन में मार करने वाल स्कैल्प मिसाइल। तीसरी है हैमर मिसाइल। इन मिसाइलों से लैस होने के बाद राफेल काल बनकर दुश्मनों पर टूट पड़ेगा।
कौन-कौन सी मिसाइलें लगी हैं राफेल में
मीटियोर मिसाइल 150 किलोमीटर, स्कैल्फ मिसाइल 300 किलोमीटर तक मार कर सकती है। जबकि, हैमर का उपयोग कम दूरी के लिए किया जाता है। ये मिसाइल आसमान से जमीन पर वार करने के लिए कारगर साबित होती है। जबकि, चीन के J-20 जेट में सिर्फ दो प्रकार की मिसाइलें लग सकती है। पीएल-15 जो 300 किलोमीटर हमला करती है। दूसरी पीएल-21 जिसकी रेंज 400 किलोमीटर है। राफेल 300 मीटर प्रति सेकेंड की गति से हवा में सीधी उड़ान भर सकता है, जबकि चीन का जे-20 जेट 304 मीटर प्रति सेकेंड से।
स्पीड के मामले में भी राफेल चीनी फाइटर से तेज
चीन के जे-20 फाइटर जेट की स्पीड 2100 किलोमीटर प्रति घंटा है। जबकि, भारतीय राफेल की गति 2450 किलोमीटर प्रतिघंटा है। यानी ध्वनि की गति से दोगुनी स्पीड। राफेल ओमनी रोल लड़ाकू विमान है। यह पहाड़ों पर कम जगह में उतर सकता है। इसे समुद्र में चलते हुए युद्धपोत पर उतार सकते हैं। राफेल चारों तरफ निगरानी रखने में सक्षम है। इसका टारगेट अचूक होगा। जबकि, चीन का जे-20 इन सुविधाओं से विहीन है। असल में चीन के पास हिमालय के पहाड़ों में तेजी से हमला करने और उड़ने वाले फाइटर जेट कम हैं।
Author: samachar
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