मुरारी पासवान की रिपोर्ट
रांची: झारखंड के रांची जिले से एक अजीबोगरीब परंपरा सामने आई है जहां मकर संक्रांति के दूसरे दिन अखान यात्रा मनाई जाती है। इस दिन बच्चों को गर्म नुकीले लोहे से दागा जाता है। वहीं, ये परंपरा कई सालों से मनाई जा रही है।
पूरे गांव में बच्चों की चीख-पुकार सुनने को मिलती है
मामला जिले के डुमरिया गांव का है। यहां मकर संक्रांति के दूसरे दिन अखान यात्रा को साल का सबसे शुभ दिन माना जाता है।इस दिन बच्चों और नवजात शिशुओं को निरोग बनाने के लिए उनके पेट पर गर्म नुकीले लोहे से दागते हैं। बच्चों को कराहते देख, जो लोग डरकर भाग जाते हैं उन्हें भी पकड़ कर दाग दिया जाता है।
इस दिन पूरे गांव में बच्चों की चीख-पुकार गूंजती है। ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों के नाभी के आसपास तेल का लेप लगाकर गर्म नुकीले लोहे से दागने पर बच्चे को पेट से संबंधित बीमारियों से राहत मिलती है।
“यह बच्चों के लिए खतरनाक कदम है”
इस परंपरा को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सक डॉ. दुर्गा चरण मुर्मू का कहना है कि यह बच्चों के लिए खतरनाक कदम है। नवजात शिशुओं का चर्म काफी नाजुक होता है। इससे बच्चे को इंफेक्शन हो सकता है। नाभि के आसपास की सूक्ष्म धमनियां होती हैं। गर्म लोहा दागने से धमनियां नष्ट हो सकती हैं और शिशु की जान का खतरा हो सकता है।
Author: samachar
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