दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
अतर्रा(बांदा)। शैक्षिक संवाद मंच द्वारा 3-4 जनवरी को चित्रकूट में आयोजित शैक्षिक संगोष्ठी में उपस्थित शिक्षक-शिक्षिका रचनाकारों ने अपनी कविताओं से रसदार बहा श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। कविता सत्र ‘काव्य कौमुदी’ के मुख्य अतिथि रूप में आशीर्वाद देते हुए कामतानाथ प्रमुख द्वार के महंत स्वामी मदन गोपाल दास महाराज जी ने कहा कि कविता वही है जो व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़े, जिसमें लोक का स्वर मुखरित हो। आमजन का जीवन पूरी आभा के साथ प्रकट हो। अध्यक्षता करते हुए अ.भा.समाज सेवा संस्थान चित्रकूट के संस्थापक गोपाल भाई ने अपनी जनपक्षधर कविताओं से कोल वनवासियों के जीवन की पीड़ा को स्वर दिया। उनकी कविता ‘ठिठुरन भरी रातें’ सुनकर पूरा वातावरण करुणा से नहा गया।
विशिष्ट अतिथि अर्चना जी ने अपने गीतों से कविता पाठ को ऊंचाई दी। प्रमोद दीक्षित मलय ने संपादित कृति स्मृतियों की धूप-छाँव और राष्ट्र साधना के पथिक अतिथियों को भेंट किया।
कविता सत्र ‘काव्य कौमुदी’ का आरंभ महाराज जी, गोपाल भाई एवं प्रमोद दीक्षित मलय द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ।
प्रदेश के विभिन्न जनपदों से पधारे कवि एवं कवयित्रियों ने अपर्णा नायक (महोबा) के काव्यमय संचालन में एक-एक कर अपनी रचना पढ़ी।
डॉ. रचना सिंह की वाणी वंदना पश्चात अनीता मिश्रा (बलरामपुर) ने चित्रकूट की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि चित्रकूट की मंडित छवि, वर्णन अमिट अभिन्न। अविरल गुप्त गोदावरी, विस्मय उद्गम अंत।
संतोष कुशवाहा (गाजीपुर) ने नये सूरज के किरणों से शीर्षक कविता पढ़कर वाहवाही लूटी तो डा. अरविंद द्विवेदी (वाराणसी) के वीर रस से ओतप्रोत मुक्तक एवं गीतों ने सभागार में उत्साह और जोश भर दिया।
अशोक प्रियदर्शी (चित्रकूट) ने प्रेम को समर्पित गीत कि नागफनियों की गलियों में जाकर सदा खुशबू मैं हर पल लुटाता रहा सुनकर प्रेमरस में डूबे श्रोताओं ने करतल ध्वनि से सराहना की।
कमलेश कुमार पांडेय (वाराणसी ) ने मां पर अपनी कविता समर्पित कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।
समरेंद्र बहादुर (गाजीपुर) ने विद्यालयों को आनंदघर बनाने के संकल्प को स्वर दिया कि एक-एक विद्यालय जिस दिन आनंदघर हो जायेगा। फिर शैक्षिक संवाद मंच का नाम अमर हो जायेगा।
बलिया से आये शंकर रावत ने भोजपुरी बोली में कविता पढ़कर लोकरस की धार बहा दी। डॉ. श्रवण कुमार गुप्त (वाराणसी ) ने नववर्ष की बधाई देते हुए गीत पढ़ा कि नववर्ष मंगलमय हो, खुशी भरे हर पल हों।
दुर्गेश्वर राय (गोरखपुर) भावपूर्ण कविता पढ़ी कि बेटा मेरा एक साल का, है मगर बड़ा वह कमाल का। प्रमोद दीक्षित मलय के गीत ‘मत रोको गंगा की धारा अविरल बहने दो। उर की सारी पीड़ा खुशियां, कल-कल कहने दो’ सुनकर श्रोता आनंदमग्न हो गये।
इनके अतिरिक्त सीमा मिश्रा (फतेहपुर ), रीनू पाल (जालौन), माधुरी त्रिपाठी (बस्ती), अरविन्द सिंह (वाराणसी), डॉ. रचना सिंह (उन्नाव) एवं अर्चना सागर ने भी कविता पाठ कर श्रोताओं को आनंद विभोर कर दिया। सीमा मिश्रा ने अपनी काव्य कृति ‘मीत बनते ही रहेंगे’ महाराज जी को भेंट की। अर्धरात्रि तक चले कविता पाठ पश्चात रामकिशोर पांडेय ने सभी अतिथियों, रचनाकारों एवं श्रोताओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।
Author: samachar
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