सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
अयोध्या। रामनगरी अयोध्या में एक ऐसा मामला सामने आया जो कानून, प्रशासन और कैदी से ऊपर उठकर मानवता की मिशाल पेश करता दिखा। कानून सजा सुना चुका था। कैदी ने भी उसे स्वीकार किया। फिर आई बारी मानवता की। जो सर्वोपरि है। 98 वर्ष की उम्र भी कोई सजा काटने की है। उम्र के इस पड़ाव पर तो बस बचे दिन अच्छे से कट जाएं, यही कामना होती है। इस आयु में एक शख्स अयोध्या जिला जेल में अपनी सजा काट रहा था। जिसे अधीक्षक जिला जेल शशिकांत मिश्र की मदद से रिहाई मिली।
जी हां, ये मामला अयोध्या जिला जेल का है। जहां 98 वर्षीय पुजारी रामसूरत को रिहाई मिली। रामसूरत, श्री बाबा रघुनाथ दास जी की बड़ी छावनी, अयोध्या (Baba Shri Raghunath Das Ji Maharaj Ki Badi Chhawni) के पुजारी हैं। इनकी उम्र के मद्देनजर रिहाई के लिए जिला जेल अधीक्षक ने अदालत को पत्र लिखकर अनुरोध किया था। जिस पर कोर्ट ने भी बिना देर किए संज्ञान लिया। आख़िरकार, रामसूरत की जेल से रिहाई हुई। उनकी रिहाई के वक्त का दृश्य आपको जरूर सुकून देगा।
रिहाई का नजारा सुकून देने वाला
अब तक आपने पुलिस वालों को कैदी को पकड़कर जेल के भीतर ले जाते देखा होगा। लेकिन, रामसूरत का मामला उलट है। उन्हें जेल अधीक्षक शशिकांत मिश्र सहित अन्य पुलिस कर्मी पकड़कर उस गाड़ी तक ले जाते दिखे, जिससे उन्हें घर तक छोड़ा गया। ये नजारा दिल को सुकून देता है। रामसूरत ने भी जेल अधीक्षक को आशीष दिया। अब वो जिंदगी के बचे दिन राम भक्ति में गुजार सकेंगे। रामसूरत घर को विदा कर दिए गए।
क्या है मामला?
दरअसल, दिनांक 6 जनवरी 2023 को अयोध्या जिला जेल अधीक्षक शशिकांत मिश्र नियमित भ्रमण पर थे। वहां वो बंदियों की कुशल-क्षेम पूछ रहे थे। तभी उनकी नजर एक बुजुर्ग शख्स पर पड़ी। उन्हें उस व्यक्ति की उम्र 95 वर्ष से अधिक लगी। मन में जानने की इच्छा हुई। तो वो वहीं बैठकर बूढ़े व्यक्ति से बातें करने लगे। पता चला कि उनका नाम रामसूरत है। उनकी उम्र 98 वर्ष के करीब है। वो श्री बाबा रघुनाथ दास जी की बड़ी छावनी, अयोध्या के पुजारी और तत्कालीन महंत कौशल किशोर दास जी के शिष्य हैं।
इसके बाद उनके मामले की पड़ताल की गई। कारागार के दस्तावेजों को देखने के बाद पता चला कि वर्ष 2019 में कोर्ट ने रामसूरत को एक मामले में 5 साल की सजा सुनाई। अदालत द्वारा उक्त बंदी की रिहाई का आदेश 8 अगस्त 2022 को जेल के पास भेजा गया था। लेकिन, उस समय कोविड-19 के अंतर्गत 90 दिन की विशेष पैरोल पर रामसूरत जेल से बाहर थे। इस कारण रिहाई आदेश को 10 अक्टूबर, 2022 को न्यायालय वापस कर दिया गया।
..फिर आया रिहाई का आदेश
जिला जेल की तरफ से अदालत को 7 जनवरी, 2023 को पत्र लिखकर बंदी रामसूरत की रिहाई का आदेश फिर से भेजने का अनुरोध किया गया। जिस पर त्वरित संज्ञान लेते हुए न्यायालय द्वारा उक्त बंदी की रिहाई का आदेश कारागार को भेजा गया।
मदद को बढ़े हाथ
इसके बाद बारी आई रामसूरत के जुर्माने की रकम अदा करने की। इसके लिए आगे आए शैलेंद्र मोहन मिश्र उर्फ छोटे मिश्र जो बीजेपी कार्यकर्ता हैं। उन्होंने बंदी राम सूरत के जुर्माने की रकम 11,500 रुपए जमा कराए। जिसके बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। रामसूरत को जेल में उनका जमा धन वापस कर दिया गया। जिसके बाद उन्हें मंदिर तक भेजा गया।
जेल से रिहाई के वक्त उम्रदराज शख्स के लड़खड़ाते कदमों का सहारा बने पुलिस वाले।
अयोध्या जिला जेल अधीक्षक शशिकांत मिश्र सहित अन्य पुलिस कर्मियों ने बुजुर्ग को सहारा दिया और उस वाहन तक पहुंचाया जिससे उन्हें मंदिर तक भेजा गया। हालांकि, इस 98 वर्षीय शख्स को कोई लेने नहीं आया था।
Author: samachar
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