राकेश तिवारी की रिपोर्ट
मैनपुरी: नेताजी मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट पर होने वाले उप चुनाव में सपा और भाजपा के मध्य जातीय समीकरण को लेकर कांटे की टक्कर साफ नजर आ रही है। अधिकांश मतदाताओं की चुप्पी काफी रहस्यमयी बनी हुई है, जो दोनों दलों के नेताओं के लिए बेचैनी का सबब बन गई है। हालांकि दोनों दलों के नेता अपनी-अपनी जीत का दमदारी से दावा कर रहे हैं। इससे सैफई परिवार का राजनीतिक भविष्य नेताजी के क्षेत्रीय जनता से भावनात्मक रिश्तों पर टिक गया है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने नेताजी के निधन से समूचे क्षेत्र में व्याप्त सहानुभूति को अपने पक्ष में भुनाने और नेताजी की विरासत अपने पास रखने के लिए पत्नी डिंपल यादव को चुनाव मैदान में उतार दिया। दूसरी ओर भाजपा ने नेताजी और प्रसपा राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह के शिष्य कहे जाने वाले रघुराज सिंह शाक्य को मैदान में उतार दिया।
इस लोकसभा क्षेत्र में जसवंत नगर, करहल, भोगांव, किशनी तथा मैनपुरी विधानसभा जुड़े हैं जिनमें करीब साढ़े 17 लाख मतदाता हैं। साढ़े चार लाख यादव तथा 70 हजार मुस्लिम मतदाता सपा के पक्ष में तो तीन लाख शाक्य, दो लाख ठाकुर तथा एक लाख लोधी राजपूत वर्ग के मतदाता भाजपा के पक्ष में खुलेआम लामबन्द नजर आ रहे हैं। ब्राह्मण, वैश्य, अन्य पिछड़े, अति पिछड़े तथा दलित वर्ग के अधिकांश मतदाताओं की चुप्पी काफी रहस्यमयी बनी हुई है।
इस क्षेत्र में नेताजी की करीब छह दशक की राजनीति से हर वर्ग के काफी लोग उनसे भावनात्मक रूप से जुड़े हुए थे। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सहित कई मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं ने इस क्षेत्र में जनसभाओं और जनसंपर्क अभियान से उपचुनाव को काफी रोमांचक मोड़ पर ला दिया है। इसके चलते सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव, शिवपाल सिंह यादव कुनबे के साथ जबरदस्त जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं। चुनाव प्रचार के समापन के बाद भी दोनों ओर से जनसंपर्क जारी है, प्रशासन भी आरोपों के घेरे में आ गया है। इससे मुकाबला और भी ज्यादा रोमांचक हो गया है।
Author: samachar
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