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November 2, 2024 6:50 am

अधिकारियों का दिमाग घूम गया इनके शातिराना अंदाज से लोन डकारने की हरकतें जानकर

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ब्रजकिशोर सिंह की रिपोर्ट 

गुड़गांव : सीएम फ्लाइंग ने फर्जी पैन व आधार कार्ड बनाकर बैंक से लोन लेने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। यह गिरोह के सदस्य एक ही व्यक्ति के अलग-अलग नाम व पते से फर्जी आईडी बनवा लाखों का लोन लेते थे। फिर एक दो किश्त जमा करवाने के बाद लोन नहीं चुकाते थे। सीएम फ्लाइंग व पालम विहार क्राइम ब्रांच की टीम ने खांडसा सब्जी मंडी के सामने संयुक्त रूप से रेड मारते हुए गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों के कब्जे से कई फर्जी पैनकार्ड, आधार कार्ड, बैंक खाते की पासबुक और डेबिट कार्ड बरामद हुए हैं।

सीएम फ्लाइंग को सूचना मिली कि गली नंबर-6 फिरोज गांधी कॉलोनी व श्याम क यूनिकेशन इलेक्ट्रोनिक्स पर फर्जी कागजात तैयार करके बैंकों से लोन लेकर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। जिस पर सीएम फ्लाइंग व क्राईम ब्रांच पालम विहार की संयुक्त टीम ने बताए छापेमारी की। जहां पर एक कमरे में दिल्ली निवासी नितिन मिला। नितिन ने बताया कि सचिन गुप्ता ने यह दुकान 2 हजार रुपये प्रतिमाह में किराये पर ली है। यहां वह अपने भाई अमित के साथ मिलकर फर्जी कागजात बनाता है। टीम को मौके पर एक लेपटॉप, एक कलर प्रिंटर, 15 आधार कार्ड,  24 पेन कार्ड, सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक के 10 डेबिट कार्ड, 27 पेन पेनकार्ड का प्रिंट ब्लेक एंड व्हाइट, एक मुहर सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक, 6 लोन एप्लीकेशन, 21 सिम एयरटेल, 3 सिम वोडाफोन, 10 प्लास्टिक के फोल्डर, आदि बरामद हुए।

पुलिस ने मामले में सचिन गुप्ता उसका भाई अमन गुप्ता उर्फ आशु निवासी फिरोजगांधी कालोनी व दिल्ली निवासी नितिन को गिरफ्तार किया है। नितिन ने पूछताछ में बताया कि वो ये काम एक साल से कर रहे थे। फर्जी कागजात बनाकर इनके द्वारा अब तक लाखों रूपये का लोन लेकर फर्जीवाडा किया जा चुका है। फर्जी कागजात बनाकर बैंकों से लोन लेने व इस कार्य में किस-किसकी मिलीभगत है, पुलिस इसकी जांच कर रही है।

आरोपी सबसे पहले किसी भी नाम से आधार कार्ड बनाते थे। इसके बाद पेन कार्ड के लिए उसी नाम से अप्लाई कर देते। पेन कार्ड बनने के बाद मोबाइल सिम ले लेते थे। इसके बाद सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक में खाता खुलवाते थे। ये सभी दस्तावेज फर्जी बनाकर लोन के लिए अप्लाई कर देते थे। ये तीन से पांच लाख तक का लोन लेते थे। लोन बैंक खाते में आते ही उसे डेबिट कार्ड की मदद से निकाल लेते थे। इसके बाद दो से तीन किस्त जमा करने के बाद किस्त देना बंद कर देते थे। इसके बाद सभी दस्तावेज फर्जी होने के कारण पता आदि भी फर्जी होने के कारण बैंककर्मी चक्कर काटते रह जाते।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."