सुहानी परिहार की रिपोर्ट
ग्वालियर। अवैध पटाखा फैक्ट्री में धमाके का दर्द निर्दोष लोग भुगत रहे हैं। जिन 4 लोगों की मौत हुई उनके परिवार में मातम पसरा है। 8 गंभीर घायल जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। एक बच्ची के तो चीथड़े उड़ गए हैं।
बानमोर कस्बे के एक मकान में गुरुवार सुबह 10.50 बजे पटाखे बनाने के दौरान विस्फोट हो गया। तेज धमाके के कारण 50 साल पुराना मकान महज 12 सेकंड में जमींदोज हो गया। धमाका इतना तेज था कि 500 मीटर दूर तक के मकान हिल गए। विस्फोट में पटाखा कारोबारी की पत्नी और बेटी समेत 4 लोगों की मौत हो गई।
8 साल की एक बच्ची के शरीर के 50% हिस्से के चीथड़े उड़ गए। 8 लोग गंभीर घायल हैं, जिन्हें JAH ग्वालियर में भर्ती कराया गया है। पुलिस ने हादसे के जिम्मेदार जमील खां को गिरफ्तार कर लिया है। लोगों का कहना है कि यहां हर-दूसरे या तीसरे घर में पटाखे बनाने का काम होता है।
यहां का मंजर डरावना था। JCB मलबा हटाने में जुटी थी, बचे-पटाखों के फूटने की आवाज आ रही थी, जिस पर टीम पानी छिड़क रही थी। लोगों की भीड़ जुटी थी और हर आंख में दहशत थी, क्यों न हो… कुछ देर पहले ही उनकी आंखों के सामने 4 लोगों के शव निकाले गए थे। इनमें 7 साल के मासूम गोलू का शव भी शामिल था।
जिस मकान में विस्फोट हुआ था, उसके ठीक सामने सुरजीत मावई रहते हैं। टीम ने बात करनी चाही तो वे इस तरह से सिहर उठे, जैसे वह मंजर उनकी आंखों के सामने घूमने लगा हो। बोले- सुबह करीब 11 बजे का वक्त था। मैं घर पर ही था। अचानक जोरदार धमाका हुआ। ऐसा लगा जैसे बम गिरा हो। छत पर कुछ गिरने की आवाज आई। जिस घर में धमाका हुआ था, उसका मलबा मेरे 3 मंजिला मकान की छत पर आ गिरा था। पलभर में ही धूल के गुबार ने घर को ढंक लिया था। अब तक चीख पुकार मच चुकी थी।
थोड़ी देर बाद धूल का गुबार हटा तो सामने जमील खां का मकान और निर्मल जैन की दुकान मलबे में तब्दील हो चुकी थी। लोगों की भीड़ जुटने लगी थी। कोई आगे बढ़ने को तैयार नहीं था, डर था कि कहीं और ब्लास्ट न हो जाए। करीब आधे घंटे बाद लोग आगे बढ़े और मलबा हटाना शुरू किया। तब तक पुलिस और राहत टीम भी मौके पर पहुंचने लगी थी। सुरजीत की मां कहती हैं- धमाका सुन ऐसा लगा मानो गैस सिलेंडर फट गया हो। धुआं छटा तो पता चला पटाखों में ब्लास्ट हुआ है।
बादाम सिंह बोले- आंखों के सामने बहुत ही डरावना मंजर था। कुछ लोग मलबे में दबे जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे थे। जमील खां की 8 साल की बेटी जोया के शरीर के तो चीथड़े उड़ गए थे। शरीर का 50 प्रतिशत हिस्सा इधर-उधर पड़ा हुआ था। अन्य मृतकों के शरीर की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। किसी का हाथ तो किसी का पैर गायब था।
घटनास्थल के ठीक सामने वाले मकान में चीख-पुकार मची हुई थी। टीम भीतर दाखिल हुई। पूछने पर पता चला यह पप्पू गुर्जर का घर है। उनकी हादसे में मौत हो गई है। पिता महेन्द्र गुर्जर मकान से सटी गली में बैठे विलाप कर रहे थे। पप्पू के चाचा विद्याराम दीवार के सहारे बैठकर रोते हुए पप्पू को याद कर रहे थे।
विद्याराम से बात की तो वे बस इतना ही बोले- पप्पू का कसूर बस इतना था कि वह सामने वाली दुकान पर पुड़िया लेने गया था। पुड़िया ले ही रहा था कि तेज धमाका हुआ। टूटे मकान का एक हिस्सा उसके ऊपर आ गिरा और वह दब गया। जब तक मलबे से निकालते उसकी सांसें थम चुकी थीं। पप्पू का शव जब पीएम के बाद पुलिस पॉलीथिन में पैक कर घर पहुंची तो यहां का रुदन सुनकर हर किसी का गला भर आया।
जिस 50 साल पुराने घर में ब्लास्ट हुआ। वह भूरा गुर्जर का था, जिसे गौहद बड़ा बाजार निवासी जमील खां (45) ने किराए पर ले रखा था। जमील खां गुरुवार को पटाखे बना रहा था। जमील के 2 बेटे सईद (20) और आमीन (18) भी उसके साथ थे। पत्नी अन्नो खां (35) खाना बना रही थी। इसी बीच जमील कुछ काम से घर की छत पर गया, तभी अचानक विस्फोट हो गया। पहला धमाका होने के 8 सेकंड बाद जोर से विस्फोट हुआ, जिससे मकान ढह गया। मकान के मलबे में घर में मौजूद सभी लोग दब गए। इनमें अन्नो खां व उसकी बेटी जोया (8) की मौके पर ही मौत हो गई।
जमील खां के मुताबिक, रसोई गैस की कोई चिंगारी बारूद के संपर्क में आई, जिससे विस्फोट हुआ। पुलिस को दिए बयान में उसने बताया कि वह पटाखा बनाने के लिए दो किलो बारूद मुरैना में राकेश जैन की दुकान से खरीदकर लाया था। उसके पास बारूद से पटाखा बनाने का कोई लाइसेंस नहीं था और वह घनी आबादी स्थित मकान में पटाखा बना रहा था।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."