राकेश तिवारी की रिपोर्ट
गोरखपुर, बीआरसी मुख्यालय पिपराइच के सामने संचालित एक विद्यालय में आवागमन का कोई रास्ता नहीं है। बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ने के लिए स्कूल आते- जाते हैं। स्कूल के ठीक सामने फरेन नाला भी बह रहा है। बावजूद जिम्मेदारों ने विद्यालय को मान्यता दे दी है। इसी तरह से जिले में और भी विद्यालय हैं। जिनके पास रास्ता नहीं हैं, टीनशेड का भवन है बावजूद उन्हें मान्यता मिली हुई है।
स्कूल से सटे ही बह रहा फरेन नाला
रामलीला मैदान व फरेन नाला से सटे जूनियर हाईस्कूल विद्यालय संचालित है। जहां कक्षा एक से आठ तक की पढ़ाई होती है। यहां पर करीब 150 से अधिक बच्चे पढ़ाई करते हैं। इन बच्चों के आने-जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। विद्यालय से सटे फरेन नाला बहता है। अगर कोई बच्चा खेलते हुए नाले में गिर जाए को दुर्घटना को कोई नहीं रोक सकता। विद्यालय को जाने के लिए एक रास्ता था भी वह भी जमीन मालीक ने दीवार चलाकर बंद कर दिया।
इसके बाद से बच्चे वैकल्पिक और सकरी गली से होकर विद्यालय पढ़ने के लिए आते-जाते हैं। विद्यालय के प्रधानाचार्य रामनयन प्रसाद ने कहा कि धर्मशाला निर्माण के बाद विद्यालय का रास्ता अवरुद्ध हुआ है। विद्यालय पहुंचने का दुसरा रास्ता भी है जो कच्चा है। उससे भी आवागमन जोखिम भरा है। नगर पंचायत को पत्र लिखा गया है।
बारिश के समय बनाया जाता है वैकल्पिक रास्ता
विद्यालय में आने- जाने के लिए पहले ही मार्ग नहीं है। बारिश के समय परेशानी और बढ़ जाती है। विद्यालय प्रशासन बच्चों के आने- जाने के लिए वैकल्पिक रास्ता डेस्क और बेंच लगाकर बनाता है। जिस पर से होकर बच्चे आते-जाते हैं। करीब- करीब यही वैकल्पिक रास्ता पूरे साल तक चलता रहता है।
Author: samachar
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