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November 21, 2024 11:46 pm

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“पापा मम्मी को ऐसी मार मारते थे जो मुझे देखा नहीं गया और…” इस किडनैपिंग में पढ़िए क्या है ट्विस्ट

14 पाठकों ने अब तक पढा

टिक्कू आपचे की रिपोर्ट 

मुंबई। पिता के हाथों मां को रोज-रोज पिटता देख एक नाबालिग बेटी ने घर छोड़ दिया। वो परिवार से दूर नेपाल जा रही थी। TTE ने उसे खंडवा में ट्रेन से उतार दिया। पुलिस समझाइश देकर उसे घर वापस ले गई।

पापा आए दिन मां को बहुत मारते हैं। मुझे हर बात पर टोकते हैं। कभी कहते हैं ये मत खाओ, वो मत करो…। मारपीट में मां की तकलीफ नहीं देख पा रही थी, पर कुछ कर भी नहीं पाती थी। दुखी होकर एक दिन घर छोड़ दिया। जा रही थी उन सबसे दूर…।

यह आपबीती 16 साल की उस लड़की की है जो माता-पिता के झगड़े से परेशान होकर नेपाल जा रही थी। उसे TTE ने खंडवा स्टेशन पर उतार दिया।

यदि आप भी अपने बच्चों के सामने झगड़ते हैं, एक-दूसरे पर हाथ उठाते हैं तो आपको अलर्ट हो जाना चाहिए। बार-बार होने वाली घटना बच्चों के मन पर गहरा असर डाल रही है।

पढ़िए इस लड़की की कहानी उसी की जुबानी…

मैं मयूरी (परिवर्तित नाम)। मेरी उम्र 16 साल है और नौवीं पढ़ी हूं। मुंबई के तथास्तु बिल्डिंग की रहने वाली हूं। मेरा एक भाई है। बहन कोई नहीं है। पापा वेल्डिंग का काम करते हैं। पापा घर पर आए दिन मां को बहुत मारते हैं। मुझे हर बात पर टोकते रहते हैं। कभी कहते हैं ये मत खाओ, कभी कहते हैं वो मत करो…। मम्मी को कहते रहते हैं कि इससे बोला कर…। मैं रोज-रोज की मारपीट में मां की तकलीफ नहीं देख पा रही थी, पर कुछ कर भी नहीं पाती थी। उनका देख न देखना पड़े इसलिए घर से निकल गई। रेलवे स्टेशन पर पहुंची तो मेरी 2 सहेलियां आकृति और कीर्ति डांगी मिल गई। मैंने उन्हें पूरे हालात बता दिए। मेरी दोनों सहेलियों ने कहा- हम दिवाली के लिए नेपाल जा रही हैं। हमारे साथ तू भी चल दे। घर से बाहर निकलोगी तो थोड़ा तनाव दूर हो जाएगा, इसलिए मैं इनके साथ आ गई। बस यही बात है…

नाबालिग जैसे ही गायब हुई तो मां-बाप ने मुंबई में अपहरण का केस दर्ज करा दिया। नेपाल की 2 बहनों (जो उसके साथ मिलीं) पर अपहरण का शक भी जताया, लेकिन नाबालिग के बयान के बाद कहानी अलग ही निकली।

टिकट मांगा तो नेपाली बहनों ने झूठ बोल दिया

गुरुवार खंडवा के टीटीई आरपी राम और भुसावल के केके मालपानी भुसावल से खंडवा के बीच ट्रेन नंबर- 12534 मुंबई से लखनऊ जा रही पुष्पक एक्सप्रेस में स्लीपर कोच में टिकट जांच कर रहे थे। उन्हें एस-2 कोच में ये तीनों लड़कियां मिलीं। दो का टिकट स्लीपर और एक लड़की का जनरल श्रेणी का था।

टीटीआई ने जब सामान्य टिकट पर पेनाल्टी की बात कही, तो लड़की ने पैसा नहीं होना बताया। उसने दोनों नेपाली लड़कियों आकृति व कीर्ति डांगी की ओर इशारा कर बताया- मुझे ये दोनों नेपाल लेकर जा रही हैं। हालांकि, घबराहट में दोनों लड़कियों ने उसके साथ होने से ही इनकार कर दिया। बाद में लड़कियों ने पेनाल्टी देकर नाबालिग सहेली का भी टिकट कटवाया।

यहां से शुरू हुआ नया ड्रामा

इतने में टीटीआई राम के मोबाइल पर भुसावल से आरपीएफ इंस्पेक्टर दयानंद ने सूचना दी कि उक्त दोनों लड़कियां (आकृति व कीर्ति दांगी) नाबालिग को भगा कर ले जा रही हैं। नाबालिग सहित आरोपी युवतियों को खंडवा में उतार लिया गया।

टीटीई ने पता किया तो उसी लड़की का फोटो मिला

टीटीआई स्टाफ ने देखा था ट्रेन जब भुसावल प्लेटफॉर्म पर खड़ी थी, तब आरपीएफ के जवान ट्रेन में किसी लड़की को ढूंढ रहे थे। तीनों लड़कियों के मिलने पर टीटीआई स्टाफ ने खंडवा आरपीएफ इंस्पेक्टर देवेंद्र सिंह से बात की और उनसे भुसावल आरपीएफ से संपर्क कर उस लड़की का फोटो मांगा।

10 मिनट के अंदर ही टीटीआई राम के मोबाइल पर उसकी फोटो मिलने पर नाबालिग की पहचान हो गई। ट्रेन के खंडवा आने से पहले आरपीएफ एएसआई क्युमिद्दीन से बात की और पूरी स्थिति बताई। इसके बाद नाबालिग के पिता से स्टाफ ने बात की, तो उन्होंने बताया- बेटी के अपहरण की एफआईआर बदलापुर मुंबई में दर्ज हैं। शुक्रवार बदलापुर से आए हवलदार केएच मोरे और एमएम सांबरे को सुपुर्द किया गया।

कहानी अपहरण की नहीं है, पारिवारिक झगड़े की है

RPF के टीआई जय सिंह का कहना है कि असल कहानी, अपहरण की नहीं है। हमारी पूछताछ में तो नाबालिग लड़की ने कबूला कि वह दोनों नेपाली युवतियों से परिचित थी। दिवाली मनाने के लिए उनकी नानी के घर उनके साथ जा रही थी। वह मर्जी से घर छोड़कर गई थी। मेरा अपहरण किया है या फिर जबरदस्ती लेने जाने वाला मामला ही नहीं है। वह पिता से नाराज थी।

दोनों बहनों ने पुलिस को बताया

मेरा नाम आकृति डांगी है। उम्र 23 साल। मम्मी-पापा का तलाक हो चुका है। पापा गोवा में रहते हैं। मम्मी इराक में। तीन बहनें हैं। दो बहनें मुंबई में और छोटी बहन नेपाल में नानी के यहां रहती है। हम भी नानी के घर दिवाली मनाने नेपाल जा रहे थे। हम 13 अक्टूबर को मुंबई से निकले थे।

मेरा नाम कीर्ति डांगी है। बताया- मैं नानी के घर दीपावली मनाने नेपाल जा रहे थे। हम घर से कल्याण स्टेशन के पहुंचे। यहां पुष्पक एक्सप्रेस में चढ़ने वाले थे। वहां मयूरी मिली। कहने लगी कि मैं भी साथ जाना चाहती हूं। हम उसे साथ बैठा लिया। ट्रेन में टीसी आए। उन्होंने पूछताछ की। खंडवा स्टेशन पर पुलिसकर्मियों के पास उतार दिया।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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