संवाददाता- विवेक चौबे
गढ़वा : जिले के कांडी थाना क्षेत्र अंतर्गत बलियारी पँचायत के बरवाडीह गांव निवासी बब्लू साव का 12 वर्षीय पुत्र नीतीश कुमार सोन नदी में डूब गया। घटना रविवार की शाम तकरीबन 4 बजे की है। हालांकि स्थानीय गोताखोरों ने काफी खोजबीन की। 19 घण्टे बाद भी उसका कुछ आता-पता नही चल सका है। नदी में गहरा पानी होने के कारण तलासी में परेशानी आ रही है।
ज्ञात हो कि 12 वर्षीय नीतीश सोन नदी में रविवार को अपनी मां सुनैना देवी के साथ कासी व जलावन लेने गया था। साथ में पार्वती देवी, ममता देवी सहित दो अन्य महिलाएं भी थीं। उसी दौरान नीतीश पानी के किनारे गया, जहां पैर फिसलने से गहरे पानी में चला गया और वह डूबने लगा। बेटे को डूबता देख माँ सुनैना ने अपनी साड़ी खोलकर नदी में फेंकी, किन्तु साड़ी को वह पकड़ नहीं सका। बेटे को बचाने के आतुर में माँ भी डूबने लगी थी। साथ कि दूसरी महिलाओं ने सुनैना की बाल को पकड़कर नदी के पानी से बाहर निकाला। नहीं तो बेटे के साथ माँ भी डूब जाती।माँ ने बताया कि मैं अपने बेटे को नदी में जाने से रोक रही थी, किन्तु वह जिद्द कर चला गया। वह अपनी माँ की सहायता के लिए कासी व जलावन हेतु चला गया था। घटना के समय लापता नीतीश के पिता बबलु साव भी घर पर नहीं थे। वे मजदूरी करने के लिए एक दिन पूर्व शनिवार को चेन्नई चले गए थे। घटना की सूचना फोन पर कटनी स्टेशन के पास मिली तो वह बीच रास्ते से ही घर के लिए वापस हो गए हैं।
नदी में डूबे नीतीश की दो बहनें 14 वर्षीया रूपांजली, 4 वर्षीया अंजली व एक और भाई 8 वर्षीय अनीश है। वह भाई बहनों में दूसरे नंबर का था। वह गांव के ही सरकारी विद्यालय के 5 वीं कक्षा का छात्र था। डूबे नीतीश को खोजबीन के लिए लगभग डेढ़ से दो सौ की संख्या में लोग कल से ही सोन नदी में लगे हुए हैं, लेकिन अभी तक असफल हैं।
उधर अंचलाधिकारी के निर्देश पर डूमरसोता गांव से भी आधा दर्जन गोताखोर भी आए। काफी प्रयास प्रयत्न करने के बाद भी सफलता नहीं मिली। नाव, कांटा, जाल व झगड़ से खोजबीन जारी है।
पीड़ित का पारिवारिक पृष्ठभूमि भी काफी दयनीय है। फुस की झोपड़ी में पूरा परिवार रहता है।पीएम आवास का भी लाभ इन्हें नही मिला हुआ है। उन्होंने बताया कि पिछली पीएम आवास की सूची में मेरा नाम था, लेकिन रिश्वत नहीं दिए तो सूची से नाम काट दिया गया। अपनी झोपड़ी को ठीक करने के लिए बेटा के साथ सोन नदी में कासी काटने गई थी। राशन कार्ड है और उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन भी मिला है, लेकिन गरीबी के कारण गैस नहीं भरवा पाते हैं। सोन नदी से जलावन चुन-चुन कर लाते हैं तो चूल्हा जलता है। जगह-जमीन कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरे ससुर भीखम साह, जिनकी मृत्यु हो चुकी है। वे दिव्यांग थे। गांव के एक दो लोग उल्टा सीधा कह सुन कर जो भी जगह जमीन थी, उसे बिना पैसा दिए लिखवा लिए हैं।
वहीं अंचलाधिकारी अजय कुमार दास ने घटना स्थल पर पहुंचकर मामले का जायजा लिया। उन्होंने जिलाकार्यालय से संपर्क कर गोताखोर को भेजने की मांग की है। जबकि मुखिया प्रतिनिधि ललन कुमार मेहता भी घटना स्थल पर ही मौजूद हैं। उन्होंने हर सम्भव मदद देने में लगे हुए हैं।
Author: samachar
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