चुन्नीलाल प्रधान और मिश्रीलाल कोरी की रिपोर्ट
महराजगंज । इस साल बहुत कम बारिश होने के बाद भी नदियों ने जमकर तबाही मचा रखी है। नेपाल की पहाड़ियों में बारिश से नदियां रह-रहकर उपनाती रहीं और अपने किनारों पर खेतों को काटती रहीं। रोहिन नदी ही किनारों पर दर्जनों एकड़ उपजाऊ जमीन को काट चुकी है। इस समय नदियों का जलस्तर कम हुआ है, लेकिन लाल निशान से नीचे रहने के बाद भी नदियां बैकरोलिंग के कारण कटान कर रही हैं। लोगों की सांसें अटकी हुई हैं।
भारत-नेपाल सीमा के पास नौतनवा तहसील में ठूठीबारी क्षेत्र में बहने वाली चन्दन नदी, झरही नदी, बरगदवा क्षेत्र मे महाव नाला, सोनिया नाला, नौतनवा क्षेत्र मे रोहिन नदी, बघेला नाला, डण्डा नदी हर वर्ष वर्षात के मौसम मे भीषण तबाही मचाती हैं। चन्दन नदी तो राजाबारी से लेकर गडौरा तक भीषण तबाही मचाने के नाम से आज भी जानी जाती है।
महाव नाला बरगदवा क्षेत्र में खैरहवा दूबे से लेकर देवघट्टी, कोहरगड्डी, विशुनपुरा, जहरी ,दोगहरा, गनेशपुर, हरपुर सीहाभार सहित दर्जनों गांवों मे तबाही की इबारत लिखती है।
बघेला नाला रेहरा, सेखुआनी,परसामलिक से लेकर मनिकौरा,बेलभार, महरी, घोडहवा, लुठहवा, निपनिया, पेडारी,परसा,भटोलिया, विषखोप, श्रीरामपुर, गंगापुर, गंगवलिया, करौता, पिपरवास, चुडिहारी, मनिकापुर, शीशमहल, बरनहवा,परसहवा ,बेलभार, आजादनगर, घरोघी ,पलिहरवा, चकदह, बेलहिया, महुलैना सहित दो दर्जन से अधिक गांवों को प्रभावित करती है। इस साल कम बारिश के बाद भी रोहिन नदी रह-रहकर तेवर दिखाती रही।
श्यामकाट, टिसुरी, सेमरा, हनुमानगढिया, कोनघुसरी, मोतीपुर, मधईडिह, लालपुर, कल्याणपुर, जबहवा, घटवा, मरचहवा,शाहपुर, सेमरहवा, धोतिअहवा, मगरभौली के लोग बेहाल रहे। इस साल अभी तक नौतनवा क्षेत्र मे सभी नदी एवं नाले खतरे के निशान पर नहीं पहुंचे हैं, लेकिन कटान हो ही रही है।
रोहिन नदी के कटान से किसानों की उपजाऊ भूमि नदी मे हो रही विलीन
रोहिन नदी के कटान की रफ्तार बहुत तेज हो गई है जिसमे किसानों की उपजाऊ भूमि रोहिन नदी मे विलीन होती जा रही है। कटान की रफ्तार देखकर किसान बहुत चिंतित हो गए हैं। श्यामकाट, टिसुरी, खजुरिया, सेमरा, कोनघुसरी, पथरहवा, पचडिहवा, परसासुमाली, परसा, विषनाथपुर, बकुलादह, बोदरवार, गंगापुर, हरलालगढ, मोतीपुर, पुरूषोत्तमपुर, जमुहानी, मधईडिह, सूर्यपूरा, शीशमहल, कल्याणपुर, लालपुर, सिरसिया, खोरिया, जबहवा, मरचहवा, घटवा, शाहपुर तक दर्जनों एकड़ जमीन नदी में विलीन हो चुकी है।
किसानों का हाल बेहाल
मोतीपुर के राकेश कुमार जायसवाल का कहना है कि रोहिन में नकी दो एकड़ जमीन समा चुकी है। अब खेती भी अधिक नहीं बची है। उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। वहीं भीमराज तिवारी कहते हैं कि रोहिन नदी के किनारे फसल के साथ साथ साग सब्जी की खेती बहुत अच्छी हो रही थी, लेकिन दो एकड उपजाऊ भूमि नदी मे समा गई। थोड़ी खेती और बची है, लेकिन लग रहा है वह भी नदी में समा जाएगी।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."