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November 2, 2024 4:02 am

दस्यु सरगना जिसपर 70 हत्याओं का मामला है दर्ज, कैसे बने “चीता मित्र”? पढ़िए दिलचस्प खबर

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मनमोहन उपाध्याय की रिपोर्ट 

शिवपुरी। मध्यप्रदेश के कूनो अभयारण्य में 17 सितंबर को 70 साल बाद चीते चहलकदमी करते दिखाई देंगे। इस ऐतिहासिक पल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिवस पर कूनो अभयारण्य पहुंच रहे हैं। इसी बीच पीएम मोदी के कार्यक्रम में 70-80 के दशक के कुख्यात डकैत रमेश सिंह सिकरवार भी मौजूद रहेंगे। क्योंकि अपने समय के दस्यु सम्राट रहे रमेश सिंह अब चीता मित्र है। कूनो दौरे के दौरान पीएम चीता मित्रों से मुलाकात करेंगे। इस दौरान यहां रमेश सिंह भी वहां रहेंगे।

श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से चीतों को लाकर बसाया जाएगा। यहां आसपास रहने वाले लोग चीतों से डरकर उन्हें नुकसान न पहुंचाएं, इसके लिए सरकार ने यहां ‘चीता मित्र’ बनाए हैं। कुल 90 गांवों के 457 लोगों को चीता मित्र बनाया गया है। इनमें से सबसे बड़ा नाम रमेश सिकरवार का है, जो पहले डकैत थे और उन पर करीब 70 हत्याओं का आरोप था।

कौन है चीता मित्र रमेश सिंह सिकरवार?

वर्ष 1976 में श्योपुर जिले के कराहल ब्लॉक के ग्राम लहरोनी में परिवार में जमीनी विवाद को लेकर रमेश सिंह ने अपने ही चाचा की हत्या कर दी थी। इसके बाद वह बागी हो गया। रमेश सिंह ने अपना एक गिरोह बनाया और कूनो के जंगलों में उतर गया। इसी बीच रमेश सिंह सिकरवार ने कई वारदातों को अंजाम दिया। पुलिस ने रमेश सिंह सिकरवार को पकड़ने के कई भरकस प्रयास किए, लेकिन कूनो के जंगल की चप्पे-चप्पे की जानकारी के चलते पुलिस के हाथ नहीं लगे। दस्यु रमेश सिंह सिकरवार ने कई वर्ष कूनो के जंगल में काटे।

27 लोगों की एक साथ की थी हत्या

वर्ष 1883 में दस्यु सम्राट रहे रमेश सिकरवार के खास सहयोगी रहे हल्के धानुक को खाड़ी गांव में गांव के ही कुछ लोगों ने मुखबिरी कर मरवा दिया था। जिससे नाराज होकर दस्यु रमेश सिंह सिकरवार ने खाड़ी गांव में पहुंचकर 27 लोगों की एक साथ हत्या कर अपने साथी की मौत का बदला लिया था। वर्ष 1984 में दस्यु रमेश सिंह सिकरवार ने अपने गिरोह के साथ पुलिस को सरेंडर कर दिया। दस साल जेल काटने के बाद दस्यु रमेश सिकरवार जेल से रिहा हुआ था।

शिकारी खाते थे खौफ

चीता मित्र बनने के बाद रमेश सिंह ने खास बातचीत में बताया कि जब वह जंगलों में रहते थे, तो वह किसी भी शिकारी को शिकार नहीं करने देता था। ऐसा करता हुआ कोई भी शिकारी जब भी उन्हें मिला, उन्होंने उसे कड़ी से कड़ी सजा दी। साथ ही वह किसी भी व्यक्ति को जंगल में घुसकर अवैध रूप से पेड़ों को नहीं काटने देता था। उनका मानना था कि जिस जंगल में उनकी रक्षा की, तो उनका भी फर्ज जंगल की रक्षा करना मानती थी।

जंगल में उतरने को तैयार दस्यु

रमेश सिंह सिकरवार ने बताया कि वन विभाग ने उन्हें एक बार फिर जंगल में उतर कर वन्य प्राणियों की रक्षा करने का दायित्व सौंपा है। वह चीता मित्र बनने के बाद तमाम शिकारियों को जंगल में उतरकर शिकार ना करने की चेतावनी संदेश को पहुंचा दिया। रमेश सिंह का कहना 70 साल पहले जो चीते देश में विलुप्त हो गए। वही चीते कूनो के जंगल में आ रहे हैं। यह उनके क्षेत्र के लिए बड़े गौरव की बात है।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."