दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
अतर्रा (बाँदा)। हिन्दी दिवस के अवसर पर प्राथमिक विद्यालय पचोखर-2 क्षेत्र महुआ में कार्यक्रम का आयोजन कर गतिविधियां आयोजित की गईं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विद्यालय के प्रधानाध्यापक प्रमोद दीक्षित मलय ने कहा कि हिन्दी हमारे दैनंदिन कार्य-व्यवहार की भाषा है। हमारी संस्कृति की संवाहक एवं पहचान है। जितनी सहजता से हम भावाभिव्यक्ति मातृभाषा हिन्दी में कर सकते हैं, अन्य भाषाओं में नहीं। हिन्दी एक वैज्ञानिक भाषा है, जैसा बोलते हैं वैसा ही लिखते हैं।
प्राथमिक विद्यालय पचोखर-2 क्षेत्र महुआ में हिन्दी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित बच्चों एवं शिक्षक-शिक्षिकाओं को सम्बोधित करते हुए प्रमोद मलय ने आगे कहा कि 14 सितम्बर, 1949 को हिन्दी को राजभाषा तथा लिपि देवनागरी को स्वीकार किया गया था। पर अंग्रेजी के वर्चस्व के कारण हिन्दी को उचित स्थान नहीं मिल सका। आज हिंदी विश्व में सबसे अधिक बोले जाने वाली तीसरी भाषा है। विदेशी विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जा रही है। तकनीकी क्षेत्र में भी हिन्दी प्रमुख भाषा बनकर उभरी है। संयुक्त राष्ट्रसंघ में भी हिन्दी को कामकाज की भाषा का दर्जा मिला है। हिन्दी का शब्दकोश समृद्ध है। तमाम लोकभाषा और बोलियों ने हिन्दी को संवारा है। संस्कृत से तत्सम शब्दों का प्रवाह मिला है तो बोलियों ने उस भाषा प्रवाह में अपने रंग और मिठास घोली है।
शिक्षक महेंद्र कुमार गुप्ता ने कहा कि शुद्ध हिन्दी बोलने से व्यक्ति का तुतलाना ठीक हो जाता है क्योंकि हिन्दी वर्णमाला में हर वर्ण वर्ग का उच्चारण स्थान अलग और विशेष है। शिक्षक राकेश द्विवेदी ने इस अवसर पर एक क्विज प्रतियोगिता कराई जिसमें बच्चों ने उत्साह से भाग लिया। कार्यक्रम के पहले शिक्षिका नीलम कुशवाहा ने बच्चों के साथ हिन्दी भाषा सम्बन्धी कला एवं क्राफ्ट का काम किया और सुंदर मनोहारी वस्तुएं बनाईं। कार्यक्रम में मोहित, निखिल, श्रियांश, मयंक पयासी, आकांक्षा नैन्सी, राशि, गोपी, संध्या, नीलम, सौम्य, मोहिनी आदि बच्चों ने पाठ्यपुस्तक की कविताएं और कहानियों का नाट्य रूपांतरण प्रस्तुत किया।
शिक्षामित्र ज्योति उपाध्याय एवं उर्मिला कुशवाहा ने बच्चों को हिन्दी भाषा के अधिकाधिक प्रयोग करने हेतु प्रोत्साहित कर कहा कि भाषा मजबूत होने से अन्य विषय समझना सरल हो जाता है।
कार्यक्रम का संचालन नीलम कुशवाहा ने किया।
Author: samachar
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