राकेश तिवारी की रिपोर्ट
उसे ब्रांडेड महंगे कपड़ों और चश्मे पहनने का शौक था। 13 साल की उम्र में वो डकैत के दत्तक बेटे की पत्नी बनी और कमर पर कारतूस की पेटी पहन कंधे पर बंदूक रखकर चलना उसका शगल बन गया।
पत्नी की भतीजी को उठाकर ले आया था डकैत निर्भय गुर्जर
दरअसल, सरला जाटव बीहड़ के कुख्यात डकैत निर्भर गुर्जर की बहू थी। आरैया जनपद के अजीतमल के नियामतपुर गांव में रहने वाली बसंती से वर्ष 1994 में डकैत निर्भय ने शादी की थी। शादी के पांच साल बाद वर्ष 1999 में बसंती मौका पाकर निर्भय के गिरोह से भाग निकली थी। निर्भय उसे खोजता हुआ गांव पहुंचा तो वो नहीं मिली, इसपर निर्भय उसके भाई महाराज सिंह जाटव की 11 साल की बेटी सरला को उठाकर गिरोह में ले आया। बाद में उसने बसंती और उसके भाई महाराज सिंह की हत्या कर दी थी।
13 साल की उम्र में दत्तक बेटे से करा दी थी शादी
दो साल तक गिरोह में रखने के बाद डकैत निर्भय ने अपने दत्तक पुत्र श्याम जाटव से करवा दी थी, तब वो 13 साल की थी। शादी के बाद सरला जाटव की बीहड़ में दस्यु सुंदरी की पहचान बन इर्ग। वह कंधे पर बंदूक रखकर और कमर में कारतूस की पेटी पहनकर घूमती थी।
सरला को गैंग का लीडर करने लगे थे सदस्य
सरला की चाल और हावभाव देखकर गैंग के सदस्य उसे लीडर बुलाने लगे थे और उसकी गैंग में खूब चलने लगी थी। निर्भय भी उसपर पूरा भरोसा करने लगा था। कुछ बड़ी घटनाओं में सरला का नाम आते ही पुलिस की नजर में आ गई और उसपर इनाम घोषित कर दिया गया। निर्भय जब भी बाहर रहता था तब गैंग की कमान वो संभालती थी।
पुलिस पर हमला और सामूहिक अपहरण काे दिया था अंजाम
निर्भय गुर्जर गैंक की कमान संभालने वाली सरला जाटव अब दुस्यु सुंदरी बन गई थी। गिरोह के साथ उसने पकड़ने आई पुलिस टीम पर भी हमला बोला था। वहीं गांव के काेटेदार की हत्या और सहसो गांव से छह किसानों के सामूहिक अपहरण की घटना को अंजाम दिया था।
सरला पर दर्ज हैं कई संगीन मामले
डकैत गिरोह की कमान संभाल रही दस्यु सुंदरी सरला जाटव पर हत्या, अपहरण, डकैती जैसे कई संगीन मामले दर्ज हुए। वर्ष 2004 में इटावा पुलिस ने उसे व श्याम जाटव को जेल भेजा था। औरैया में फिरौती के लिए अपहरण के मामले में वर्ष 2005 में कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और उस समय उसे इटावा जेल में भेजा गया था। 18 साल बाद हाईकोर्ट से जमानत मिलने पर शुक्रवार को उसकी रिहाई हो गई लेकिन उसका पति श्याम जाटव अभी जेल में ही है।
अब घर में नहीं रहता कोई
औरैया जनपद के अजीतमल के नियामतपुर गांव में उसके परिवार से कोई भी सदस्य नहीं रहता है। बुआ और पिता के कत्ल के बाद एक भाई गांव में रह रहा था। सरला के जेल से बाहर आने की जानकारी के बाद गांव में शनिवार को सन्नाटा रहा। गांव में जर्जर हो चुकी झोपड़ी नुमा घर खाली था और पास में कुएं पर बैठे ग्रामीणों में चर्चा थी कि सुबह ही सरला का भाई विजय गांव से कहीं चला गया है। बताया कि अब सब ननिहाल में रहने लगे हैं।
जेल से छूटने पर सरला लेने आए घरवाले
सरला की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की गई थी। कोर्ट ने उसकी जमानत मंजूर करके रिहाई का आदेश दिया था। इटावा जिला जेल में आदेश पहुंचने के बाद शुक्रवार को उसे छोड़ दिया गया। जेल के बाहर मौजूद मिले घरवालों के साथ सरला चली गई थी।
ब्रांडेड कपड़े और चश्मा पहनने का था शौक
बताते हैं कि गिरोह की कमान संभालने के बाद सरला रौब में रहती थी, उसे ऐसे ही दस्यु सुंदरी नहीं कहा जाता था। वह ब्रांडेड और महंगे कपड़े पहनती और तरह तरह के चश्मे लगाती थी। जींस-टीशर्ट पहनकर कंधे पर बंदूक रखकर चलना उसका शौक था। उस समय उसे देखने वालों की मानें तो कभी वो खाकी वर्दी, डार्क लिपिस्टिक और माथे पर बिंदी और हाथों में चूड़ियां पहने भी नजर आती थी।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."