अनिल कुमार यादव की रिपोर्ट
आज पूरा मानव जीवन कुशल मंगल है तो उसके पीछे प्रकृति की भूमिका सबसे बड़ी है, इसके बिना पृथ्वी में जीवन की परिकल्पना भी नहीं किया जा सकता है। प्रकृति से मिलने वाले संसाधनों की वजह से सिर्फ़ मनुष्य ही नहीं बल्कि समस्त जीव-जंतु एवं पेड़-पौधे लाभान्वित होते हैं, और हम सभी प्रकृति का ही एक हिस्सा भी हैं।
छत्तीसगढ़ी संस्कृति का निर्वाह करते हुए लोगों ने अपने घरों में भोजली रोपते है। भोजली को घर से नदी तक शोभायात्रा निकालकर ग्राम देवता की पूजा-अर्चना करते हैं। लोगों ने मितान बदकर सीताराम भोजली कहकर एक-दूसरे का अभिवादन किया। वपूजा अर्चना पश्चात शोभायात्रा के साथ भोजली का विसर्जन नदी तालाब में करते हैं। ग्रामीण ग्रामीण क्षेत्र में भोजली का पर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि नागपंचमी के दिन छोटे बच्चे चुरकीए टुकनी में मिट्टी लाकर उसमें गेहूं की बिहई भिगोकर बोते हैं।
छत्तीसगढ़ में सावन महीने की नवमी तिथि को छोटी-छोटी टोकरियां में मिट्टी डालकर उनमें गेहूं के दाने बोए जाते हैं। ये घने दाने, गेहूं, जै, कोदो,अरहर, मूंग उड़द आदि के होते है।
इसी तारतम्य में भोजली महोत्सव समिति तोरवा बिलासपुर के द्वारा भोजली प्रतियोगिता का आयोजन रखा गया है, दिनांक 12 अगस्त 2022 दिन शुक्रवार, समय दोपहर 2.00 बजे से भोजली विसर्जन स्थान: तोरवा पटेल मोहल्ला विवेकानन्द नगर बिलासपुर, भोजली समिति के द्वारा मितान मितानी बदवाया जायेगा।
सभी समाज के एक बुजुर्ग महिलाएं को सम्मान किया जाएगा, छत्तीसगढ़ के पारम्परिक वेशभूषा कपड़े में आना अनिवार्य, भोजली टोकनी में ही बोना है।
समिति के अध्यक्ष शंकर यादव ने बताया कि भोजली महोत्सव में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान आम लोगो को ना केवल भोजली के महत्व के बारे में बताया जाएगा बल्कि प्रतियोगिता का आयोजन कर लोगों को परम्पराओं से परिचित कराने का प्रयास भी होगा।
भोजली महोत्सव समिति तोरवा के अध्यक्ष शंकर यादव ने बताया कि भोजली त्योहार का नाता किसी धर्म या जाति से नहीं बल्कि भारतीय जनमानस का प्रकृति के प्रति गहरे अनुराग से है।
12 अगस्त को भोजली पर्व पर समिति ने विविध प्रकार के कार्यक्रम आयोजन का एलान किया है। इसमें भोजली प्रतियोगिता विशेष होगी। प्रतियोगिता में शामिल होने वाले प्रतिभागियों को 6 या 7 ग्रुप में बांटा जाएगा। विजेताओं को नगद और कप के अलावा सांत्वना पुरस्कार दिया जाएगा।
शंकर यादव ने बताया कि छत्तीसगढ़ के लोक संस्कृति के जाने माने कलाकार पारंपरिक रंगारंग कार्यक्रम पेश करेंगे। कार्यक्रम का आयोजन 12 अगस्त दोपहर 2 बजे से किया जाएगा। भोजली विसर्जन तोरवा पटेल मोहल्ला विवेकानन्द नगर में होगा। मितान मितानी परम्परा को बदवाया जायेगा। सभी समाज से एक बुजुर्ग महिला को सम्मानित भी किया जाएगा।
भोजली महोत्सव समिति अध्यक्ष शंकर यादव के अनुसार छत्तीसगढ़ के लोक संस्कृति पारंपरिक भोजली पर्व में भोजली छालीवुड कलाकार शिरकत करेंगे ।
भोजली पर्व के कार्यक्रम को लेकर प्रमुख रूप से अध्यक्ष शंकर यादव, गंगेश्वर सिंह, सुनील भोई, नंदकिशोर यादव, मुकेश केवट, कमल पटेल, शुभम यादव, गीता रजक, महेंद्र ध्रुव तुलाराम केवट,, शशी सैनिक धनेश रजक, मनोहर पटेल, राजा पांडेय, सुरेश दास, मनीष पटेल, विनोद भोई, देवा भोई गोपाल यादव, संजय पटेल श्रीमति सुखमत केवट, रामबाई सैनिक, रामप्यारी पटेल, कुंवारी भोई, कमला भोई ,विमला तिवारी,रामेश्वरी रजक, लगानी रजक,बनवासा यादव, जुगा भोई अपना योगदान दे रहे हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."