दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
गोंडा : किसी ने अपने जान की बाजी लगाकर देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी दिलाई तो कोई आज भी मुल्क की सरहद पर निगाहबानी कर रहा है। मां भारती की रक्षा के लिए अपने जान की कुर्बानी देने वाले बलिदानी से जुड़ी स्मृतियां गांव में ही गुम हो गईं।
बुनियादी सुविधाओं से दूर गांव माननीय व अफसरों के बेरुखी की दास्तान बयां कर रहा है। जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर रुपईडीह ब्लाक की ग्राम पंचायत उसरैना के राजस्व गांव नारीपुवा में शहीद अयोध्या प्रसाद मिश्र का घर है। उनका जन्म छह जुलाई 1963 को हुआ था। 26 सितंबर 1981 को उन्हें सेना में नौकरी मिली थी। 22 मार्च 1995 को अयोध्या प्रसाद मिश्र अपने साथियों के साथ श्रीनगर बार्डर पर गश्त के दौरान अचानक हुए बम विस्फोट में बलिदान हो गए थे। जिस वक्त उनकी जान गई, बेटा पूरनचंद की उम्र महज दो वर्ष थी। बलिदानी की पत्नी राजकला को सिर्फ पेंशन मिली। बेटे को नौकरी नहीं मिल सकी।
टूटी सड़क- चोक नाली, गांव में सिर्फ बदहाली
राजस्व ग्राम नारीपुरवा की आबादी करीब एक हजार है। इस गावं में करीब 200 परिवार रहते हैं। 1995 में यह गांव आंबेडकर ग्राम रह चुका है। गांव में बनी सड़कें टूट गई हैं। तालाब पटा हुआ है और हैंडपंप खराब हैं। किसी को शौचालय तो किसी को आवास न मिलने का मलाल है। पंचायत भवन जर्जर होने के साथ ही आंगनबाड़ी भवन की फर्श नहीं लगी है। प्राथमिक स्कूल परिसर में भी समस्याओं का अंबार है। हैंडपंप व हैंड वाशिंग यूनिट खराब है। शौचालय की स्थिति भी बदहाल है।
ग्रामीणों के बोल : पात्र गृहस्थी योजना के तहत न तो राशनकार्ड बना है और न ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ मिला है। ऐसे में किसी तरह गुजर-बसर करना पड़ रहा है। – मीरा देवी, गृहणी
आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण पक्का आवास नहीं बनवा पा रहा हूं। बारिश के मौसम में फूस की झोपड़ी से पानी टपकता है। कई बार प्रयास के बावजूद प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला। – विनोद कुमार, ग्रामीण
बिजली कटौती से बरसात में दिक्कत बढ़ जाती है। इंडिया मार्का हैंडपंप से शुद्ध पानी नहीं मिल पा रहा है। मैं अपने घर के सामने बनी पक्की नाली खुद साफ करता हूं। – जीतेंद्रनाथ मिश्र, वरिष्ठ नागरिक
इंडियामार्का हैंडपंप खराब हैं। सफाई व्यवस्था बदहाल है। शौचालय बनवाने के लिए न तो प्रोत्साहन राशि मिली और न ही आवास। सड़क पर जलभराव होने से दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। – राजेश, युवा
मंजू देवी, प्रधान का कहना है कि उपलब्ध बजट के अनुसार विकास कार्य कराने का प्रयास किया जा रहा है। यह सच है कि गांव में बलिदानी के नाम की कोई निशानी है। अमृत वाटिका की स्थापना कराई जानी थी लेकिन, गांव के लोग सरकारी भूमि खाली नहीं कर रहे हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."