दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
कानपुर। देहात जिले में मिड-डे मील में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। दरअसल यहां पर रजिस्टर में 138 बच्चों की उपस्थिति दर्ज की जाती थी लेकिन खाना केवल 80 बच्चों का ही बनाया जा रहा था। साथ ही खाने का जो मीनू है उसमें रोटी-सब्जी लिखा है, लेकिन बच्चों को केवल तहरी बनाकर परोसी जा रही थी। यह प्राथमिक विद्यालय पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का भी स्कूल है, क्योंकि रामनाथ कोविंद ने अपनी 1 से लेकर 5 तक की शिक्षा इसी प्राथमिक विद्यालय से पूरी की है।
कानपुर देहात के डेरापुर तहसील के परौंख गांव का यह मामला है। इसी गांव में प्राथमिक विद्यालय है और यही पर मिड डे मील बनाई जाती थी। मामला संज्ञान में आने के बाद बीएसए ने कार्यवाही के आदेश दे दिए हैं। उसके बाद जब शिक्षक और रसोईया से सफाई मांगी गई, तब शिक्षक ने कहा कि खाना देर से बना और रजिस्टर में पहले चढ़ा दिया गया। जबकि रसोइए ने कहा कि आटा और सब्जी थी नहीं, तो रोटी-सब्जी कैसे बनती?
एबीपी न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार गांव के प्रधान ने कहा है कि मामले की जांच बीएसए से करवाई जाएगी। साथ ही प्रधान ने कहा कि स्कूल समय पर ना खुलना गलत है। साथ ही उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग को सरकारी दिशा निर्देश के अनुसार ही खाना बनाना चाहिए और रजिस्टर पर सही समय पर ही चढ़ाना चाहिए था।
बता दें कि इसके पहले इसी वर्ष फरवरी महीने में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में मिड डे मील में दूध का घोटाला सामने आया था। दरअसल एक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में 246 बच्चों पर 45 लीटर दूध ग्राम प्रधान द्वारा दिया जाना था लेकिन स्कूल को केवल 5 लीटर दूध मिलता था। जब रसोइए से इसके बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि 246 बच्चों में 5 लीटर दूध कैसे बांटू।
बता दें कि मिड डे मील के लिए 100 बच्चों पर 20 लीटर दूध सरकार द्वारा तय किया गया है। वहीं जब इसके संबंध में स्कूल के प्रधानाचार्य से सवाल किया जाता है तो उन्होंने कहा था कि दूध की जिम्मेदारी सरकार और ग्राम प्रधान की होती है। उन्हें इसके बारे में कुछ नहीं पता है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."