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November 22, 2024 6:53 pm

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पुलिस द्वारा लगातार पशु तस्करों को साथ दिए जाने के विरोध में हिन्दू संगठन लामबद्ध

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संवाददाता- विवेक चौबे

गढ़वा : जिले के कांडी प्रखण्ड क्षेत्र अंतर्गत डुमरसोता मोड़ से पेट्रोल पंप तक मशाल जुलूस निकाला गया। इस जुलूस का नेतृत्व हिन्दू संगठन के जिला पदाधिकारी पुष्परंजन ने किया। वापस जुलूस कर्पूरी चौक पहुंची, जहां नुक्कड़ सभा का आयोजन किया गया।

इस नुक्कड़ सभा को संबोधित करते हुए बजरंगदल के प्रखण्ड अध्यक्ष शशिरंजन दुबे ने कहा कि कांडी पुलिस द्वारा लगातार पशु तस्करों को साथ दिया जा रहा है, जो हिन्दू धर्म व सरकारी नियमों के अनुसार पूर्ण रूप से गलत है। वहीं हिन्दू संगठन के जिला पदाधिकारी पुष्परंजन ने कांडी पुलिस पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यदि थाना प्रभारी फैज रब्बानी पर कार्यवाई नहीं हुई तथा पत्रकार व समाजसेवी पर हुए एफआईआर दर्ज को वापस नहीं लिया गया तो क्षेत्र के सभी हिन्दू समाज के साथ सड़क पर उतर कर बड़े आंदोलन करने को बाध्य होंगे।

बता दें कि जुलूस के दौरान पुलिस प्रशासन हाय हाय, जल्द केस वापस लो सहित कई नारे लगाए जा रहे थे। ज्ञात हो कि बीते 14 जुलाई की सुबह में कर्मा गांव के ग्रामीणों द्वारा युवा समाजसेवी शशांक शेखर व पत्रकार विजय पांडेय को सूचना दी गई की पशु तस्करी के लिए पिकप वाहन से ले जाया जा रहा है। सूचना पाकर समाजसेवी व स्थानीय पत्रकार पहुंचे व पुलिस को जानकारी दी गई कि ग्रामीणों द्वारा गाय से लदे पशु से एक पिकप वाहन को पकड़ा गया है। सूचना पाकर पहुंची पुलिस को गाय से लदे उक्त पिकप वाहन को सुपुर्द कर दिया गया। पुलिस ने उक्त पिकप वाहन के चालक पर कार्यवाई करते हुए मामूली धारा लगाकर जेल भेज दिया। जबकि पत्रकार विजय पांडेय व युवा सामाज सेवी शशांक शेखर की कोई गलती नहीं थी। यदि गलती थी तो यह कि पुलिस को सूचना देते हुए शाशंख शेखर ने मुख्यमंत्री, डीजीपी, डीआईजी, आयुक्त, उपायुक्त व अन्य पदाधिकारियों के ट्विटर हैंडल पर फ़ोटो व वीडियो के साथ ट्वीट किया। इस पर क्रोधित होकर कांडी पुलिस ने समाजसेवी शाशंख शेखर व पत्रकार विजय पांडेय पर संगीन अपराध के कई धाराओं को लगाकर फर्जी एफआईआर दर्ज कर दिया। इससे स्पष्ट होता कि पशु तस्करों के साथ थाना प्रभारी फैज रब्बानी व अन्य पुलिस पदाधिकारी की भी मिलीभगत है। जुलूस में हजारों की संख्या में लोग शामिल थे।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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