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November 2, 2024 4:54 am

दर्दनाक; दीदी-दीदी कहकर बुलाया, पीटा, मुंह में पत्ते ठूंसे और आंखें फोड़ीं

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नवदीप सिंह औलख की रिपोर्ट 

कटिहार, बिहार।  एक शख्स ने 45 साल की महिला की दोनों आंखें फोड़ दी। वारदात के वक्त वो अपनी 8 साल की बच्ची के साथ सो रही थी। बच्ची ने बताया कि आरोपी आया दीदी-दीदी कहकर आवाज दी। दरवाजा खोलते ही मां धमकी देने लगा। वो कुछ बात करना चाहता था। मां ने मना किया तो, मां के हाथ बांधे। मुंह में पत्ते ठूंसे और लकड़ी  से आंखें फोड़ दी।

मामला अमदाबाद थाना क्षेत्र के डकरा इंग्लिश बांध के पास की है। महिला की हालत गंभीर है। उसे सदर अस्पताल लाया गया था, लेकिन हालत गंभीर होने पर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया।

आंख फोड़ने की कहानी बेटी की जुबानी

पीड़ित महिला रेखा देवी की 8 साल की बेटी ने बताया कि रात 12 बजे गांव का ही मो. शमीम उनके घर पहुंचा। मां को दीदी कह कर बाहर बुलाया। जब मां आवाज सुनकर बाहर निकली तो उसने थोड़ी देर रुकने के लिए कहा। वह बात करना चाह रहा था।

मां मना कर घर के अंदर जाने लगी। इसी दौरान आरोपी ने पकड़ लिया और खींचकर पास के पटवा खेत में लेकर चला गया। इस दौरान बेटी ने घटना को अपनी आंखों से होते देखा।

बच्ची ने बताया कि उस युवक ने पहले उनके मां के दोनों हाथ बांध दिए। इसके बाद उनके मुंह में पटवा का पत्ता तोड़कर ठूंस दिया। बाद में पटवा को तोड़कर उससे निकली सांठी से उनकी दोनों आंखों में घोंप दिया। घटना को अंजाम देने के बाद व्यक्ति फरार हो गया।

इधर, महिला की पुत्री ने परिजनों को इसकी जानकारी दी। परिजन मौके पर पहुंच कर महिला को स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे, लेकिन हालत गंभीर होने पर सदर अस्पताल रेफर कर दिया। जहां सदर अस्पताल में भी महिला की हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। हालांकि, इस विवाद के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया।

महिला के पति 6 दिन पूर्व काम करने के लिए बाहर गए थे और महिला अपनी बेटी के साथ बांध पर घर बनाकर रह रही थी। हालांकि, इस घटना की जानकारी अमदाबाद थाना पुलिस को दी गई। पुलिस घटनास्थल पर पहुंचकर आसपास के लोगों से पूछताछ करते हुए जांच में जुट गई।

एसपी जीतेंद्र कुमार ने बताया कि प्रथम दृष्टया मामला आपसी दुश्मनी का लग रहा है। फिलहाल घटना की जांच के लिए टीम गठित की गई है। जल्द ही मामले की जांच कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."