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24 February 2025 12:08 am

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“उदास” मौसम से “हताश” किसानों की उम्मीदों पर अनहोनी की आशंका 

63 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

उत्तर प्रदेश में देर से दाखिल होकर लम्बे अंतराल से निष्क्रिय पड़े दक्षिणी-पश्चिमी मानसून से धान की रोपाई पिछड़ती जा रही है। किसानों की दिक्कतें बढ़ रही हैं। मौसम विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार इस बार जून से अब तक (सात जुलाई) महज 40.03 प्रतिशत बारिश हुई है। अब तक बारिश न होने से प्रदेश में सूखे के हालात हैं। 

पिछले साल के मुकाबले इस बार प्रदेश में मानूसन की बारिश बहुत कम होने की वजह से किसानों की दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं। कृषि विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य में अब तक महज 12 प्रतिशत ही धान की रोपाई हो पाई है। बताते चलें कि पिछले साल प्रदेश में 12 जून को मानसून आ गया था, हालांकि पिछले साल भी प्रदेश में दाखिल होने के बाद करीब एक सप्ताह का अंतराल आया था मगर फिर मानसून सक्रिय हो गया था और सात जुलाई तक अच्छी बारिश हो चुकी थी। मगर इस बार मानसून रूठा है। 

खरीफ में अब तक फसलों की रोपाई बोवाई के लक्ष्य व पूर्ति

फसल                लक्ष्य हजार हेक्टेयर              रोपाई/बोवाई हजार हेक्टेयर

धान                    5900.000                                       718.646

मक्का                    780.000                                         228.968

ज्वार                      215.000                                            17.562

बाजरा                     980.000                                            69.432

मोटा अनाज                15.000                                            07.032

उर्द                        725.000                                            61.704

मूंग                       40.000                                           03.110

अरहर                      57.816                                         125.000

मूंगफली                   125.000                                           10.153

सोयाबीन                     50.000                                             5.276

तिल                         413.000                                           15.311

पूर्व कृष उपनिदेशक सीपी श्रीवास्तव ने बताया, यूपी में इस बार हालात बहुत खराब होते जा रहे हैं। मानूसन की बारिश न होने की वजह से करीब 40 फीसदी किसानों ने अपने संसाधन से धान की रोपाई तो कर दी है मगर अब उन्हें बारिश के पानी का बेसब्री से इंतजार है बाकी छोटे किसान तो अब सिर्फ आसमान की तरफ ही टकटकी लगाने को मजबूर हैं। धान की नर्सरी अब 20 से 25 दिन पुरानी हो चली है और अगर अब आगे रोपाई नहीं हुई तो फिर धान की उत्पादकता घटने के आसार बन जाएंगे। दस जुलाई तक अरहर व मक्के की भी बोवाई हो जाती थी मगर इस बार वह भी नहीं हो पा रही है। डीजल महंगा होने की वजह से सिंचाई का व्यय भार किसान वहन नहीं कर पा रहे हैं।

मौसम विभान केन्द्र निदेशक जेपी गुप्ता ने बताया, सोनभद्र से प्रदेश में दाखिल होने के बाद 29 जून को मानसून पूरे यूपी को कवर कर चुका है। मगर आने के बाद मानसून की बारिश में अंतराल आ गया है। अभी पूर्वी उत्तर प्रदेश में अभी मौसम ऐसा ही बना रहेगा जबकि पश्चिमी यूपी में शनिवार से बारिश के आसार हैं।

भाकियू अराजनीतिक प्रदेश अध्यक्ष हरनाम सिंह वर्मा का कहना है कि मानसून के पिछड़ने से प्रदेश में 20 प्रतिशत धान की फसल तो खराब हो चुकी है। अब सरकार को चाहिए कि वह तत्काल आपात रणनीति के तहत किसानों को सिंचाई के लिए सस्ता डीजल उपलब्ध करवाए और सरकारी नलकूप पूरी क्षमता से चलाए जाएं और खराब पड़े ट्रांसफार्मर ठीक करवाए जाएं। उन्होंने कहा कि जो किसान धान नहीं लगा पा रहे हैं उन्हें ढैंचा के बीज उपलब्ध करवा दें ताकि वह हरी खाद का ही उत्पादन कर लें।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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