दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
हापुड़। रचनात्मक लेखन से अभिप्राय ऐसे लेखन से है जो लीक से हटकर नयी सोच एवं दृष्टि से युक्त हो। लेखक को मानवतावादी और वैश्विक दृष्टिकोण का होना चाहिए। लेखन लालित्यपूर्ण, चित्रात्मक, संगीतात्मक और जड़-चेतन के कल्याण की भावना से परिपूर्ण होना चाहिए।
उक्त उद्गार साहित्यिक सद्भावना मंच हापुड़ (उ.प्र.) द्वारा 3 जुलाई रविवार की शाम को ऑनलाइन आयोजित एक रचनात्मक लेखन कार्यशाला में उपस्थित शिक्षक-शिक्षिकाओं के सम्मुख बतौर संदर्भदाता शिक्षक एवं साहित्यकार प्रमोद दीक्षित मलय (बांदा) ने व्यक्त किये। आगे कहा कि लेखन के लिए सतत अभ्यास और सूक्ष्म अवलोकन बहुत जरूरी है। लेखन तमाम संकीर्णताओं से परे भाषा, भाव एवं इन्द्रिय बोध में सहज संप्रेषणीय हो जो पाठक में आलोचनात्मक विवेक पैदा कर उसे बदल दे। लेखन की बारीकियां समझाते हुए कहा कि किसी रचना में शब्दों और विचारों का दोहराव उचित नहीं होता। चयनित क्षेत्र के अनुरूप शब्दावली का प्रयोग, व्याकरण एवं वर्तनी, विराम चिन्ह आदि का ध्यान, वाक्य विन्यास की कसावट, गति, लय, प्रवाह और ठहराव का ध्यान लेखक को रखना चाहिए।
प्रतिभागियों को लेखन के गुर सिखाते हुए बताया कि लेख का शीर्षक संक्षिप्त, अनुप्रासी एवं नवलता लिए हो और पाठक के मन में जिज्ञासा पैदा करने वाला हो। एक अच्छे लेखक को अच्छा पाठक और अच्छा सम्पादक होना चाहिए। रचनाकार को लेखन, संशोधन, संपादन, प्रकाशन का क्रम अपनाना चाहिए। इसके पूर्व कार्यशाला का आरम्भ शानू खन्ना द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं विजेता सिंह की वाणी वंदना से हुआ।
कार्यशाला की भूमिका रखते हुए मंच की संस्थापिका श्रीमती ऋतु श्रीवास्तव ने बताया कि सद्भावना मंच से जुड़े शिक्षक-शिक्षिकाओं को लेखन के तौरतरीके समझकर क्षमता वृद्धि की दृष्टि से यह आयोजन किया गया है। विश्वास है नवोदित रचनाकारों को यथेष्ट मार्गदर्शन मिलेगा।
मंच के सभी रचनाधर्मी सदस्यों का रचनात्मक लेखन में रुझान पैदा होगा और वो लेखन विधा की बारीकियों से रूबरू होंगे सकेंगे। यह कार्यशाला टीमवर्क का सर्वोत्तम उदाहरण रही। समस्त कार्यों को साहित्यिक सद्भावना मंच के सभी सुधी सदस्यों ने आपसी सहयोग और सौहार्द के साथ पूर्ण किया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती शहाना सैफी ने किया।
निमंत्रण पत्र और पोस्टर निर्माण नीलम गुप्ता, फोटो कोलाज शीतल सैनी, प्रतिवेदन लेखन शिल्पी कंसल, गूगल मीट पर कार्यशाला की व्यवस्था रेणु देवी ने की। आभार प्रदर्शन पिंटू ( हिंदी प्रवक्ता, डायट) ने किया।
इस लेखन कार्यशाला में सीमा तोमर, गुरु दयाल, मीनू सक्सेना, रेणु देवी, रंजना गुप्ता, शानू खन्ना, नीलम गुप्ता, शीतल सैनी, प्रियंका सिंघल, सीमा सुमन, प्रतिभा शर्मा, शहाना सैफी, शुचि त्यागी, तृप्ति त्यागी, पिंटू, पूजा चतुर्वेदी, सुषमा मलिक, अरुणा राजपूत, ओमपाल राणा, बुशरा सिद्दीकी, निधि माहेश्वरी, विभा श्रीवास्तव, स्वाति शर्मा आदि ने सहभागिता कर लेखन के तौरतरीके समझे।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."