सोनिया सिंह चौहान की खास रिपोर्ट
आलिया भट्ट की प्रेग्नेंसी की आकाशवाणी होते ही देवतागण फूल बरसाने लगे। घर-घर दिए जलने लगे। लोग हाथ जोड़कर मंगलगान करने लगे। कुल मिलाकर, मुल्क के स्याह माहौल में ये इकलौती ऐसी खबर है जो जगर-मगर (जगमग) कर रही है। इसके साथ ही एक और बात हुई! एक्ट्रेस के ‘सही उम्र’ में मां बनने की बात तलवार की तरह उन औरतों की गर्दन पर टिक गई, जो बाल रंगवाने और झुर्रियां छिपाने वाली क्रीम लगाने के बावजूद मां बनना टाल रही हैं।
इन औरतों की बायोलॉजिकल क्लॉक अचानक इतनी जोर से टिकटिकाने लगी, जैसा शोर तीसरे विश्व युद्ध में भी न मचे। वे दफ्तर में काम करती होंगी और घड़ी मुंह फाड़कर चिल्ला उठेगी। खाना पका रही होंगी कि तभी कुकर की सीटी के साथ बायो क्लॉक भी घनघना उठेगी। सो रही होंगी कि अलार्म बजेगा, और पसीने-पसीने होते हुए हड़बड़ाकर वे जाग जाएंगी।
हर तरफ एक ही वॉर्निंग! चेहरे पर झुर्रियां हटाने की क्रीम भले पोत लो। जिम जाकर देह को भले ही काबू कर लो, लेकिन कोख का क्या! उसे रिटायर होने से कैसे रोकोगी? अजी, जब शानदार क्वालिटी का शहद भी एक्सपायर हो जाता है तो औरत की कोख भला कब तक जवान रहेगी! तो बिना देर किए फटाफट बच्चे प्लान कर डालो।
चटपटा खाने और घूमने के शौकीन इटली के लिए 22 सितंबर का दिन बहुत खास होता है। ये नेशनल फर्टिलिटी डे है। इस रोज हरेक दफ्तर पति-पत्नी या प्रेमी-प्रेमिकाओं को खुले मन से छुट्टी देता है कि वे जाएं और बच्चा प्लान करें। मेलजोल के लिए मशहूर मुल्क में इन 24 घंटों तक न कोई पार्टी होती है, न कोई गुलगपाड़ा कि कहीं संतान पैदा करने की तपस्या में खलल न पड़ जाए।
इतालवी मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ ने इस दिन के लिए कई विज्ञापन बनाए- सबके सब औरत के भीतर टिकटिकाते टाइम बम की तरफ इशारा करते हुए, जो बिना चेतावनी फट सकता है।
बता दें कि ये वही देश है, जहां साल 2012 में कंपनियां अपनी महिला कर्मचारियों से एक चिट्ठी पर जबरन दस्तखत करवा रही थीं। बगैर तारीख की इस चिट्ठी में लिखा था कि प्रेग्नेंट होने पर महिला ‘अपनी खुशी और मर्जी’ से रिजाइन कर देगी। इसके बाद से पास्ता में तरह-तरह सॉस बनाकर डालने की शौकीन औरतें बागी हो गईं। वे बच्चे पैदा करने से बचने लगीं।
अब हालात ये हैं कि देश उबाऊ फिल्म के रिलीज के बाद के सिनेमा हॉल की तरह सूना पड़ा है। सरकार जवान विदेशी जोड़ों को न्यौता दे रही है कि वे उनके यहां आकर बसें। शर्त बस इतनी कि वे जल्दी से जल्दी और ज्यादा बच्चे पैदा करें, जो इतालवी होंगे।
प्रेग्नेंसी को लेकर ये बौखलाहट हमेशा से ऐसी ही रही। 15वीं सदी से लेकर उसके काफी बाद तक ‘फर्टाइल’ औरतों पर जोर रहा। यानी वो औरत, जो उर्वर जमीन की तरह ही हर मौसम नए-नए बच्चों की फसल उगा सके। साइंस लेखिका रेंडी हटर ने एक किताब ‘गेट मी आउट- ए हिस्ट्री ऑफ चाइल्डबर्थ’ में ऐसी कई बातों का जिक्र किया है।
वे बताती हैं कि पुराने समय में शादी के लिए ऐसी लड़की खोजी जाती जिसका रंग खिलता हुआ हो, जिसका शरीर उभारदार हो और जिसके बाल लंबे-घने हों। वो, जिसके होंठों के आसपास बाल न हों, न ही जो आंखों में आंखें डालकर बोलती हो। मान्यता थी कि ऐसी युवती उपजाऊ होती है और शादी के तुरंत बाद गर्भवती हो जाती है।
पुराने समय के मर्द चिकित्सक ये सलाह भी देते कि उस ल़़ड़की से शादी नहीं करनी चाहिए, जिसे कभी भी हैजा हो चुका हो। उसकी कमजोर कोख बीज (पढ़ें, स्पर्म) को संभाल नहीं पाती और शौहर की सारी मेहनत बेकार हो जाती है। हालांकि कुछ नेकदिल मर्दों ने बंजर औरतों की नैया पार लगाने के भी तरीके खोजे। उन्हें यूरिन से लेकर तरह-तरह की औषधियां पिलाई जाने लगीं ताकि दुनिया छोड़ने से पहले वे एक अदद संतान देकर जाएं।
मर्दों की ये दरियादिली तब से अब तक बिहार की बाढ़ की तरह उफने जा रही है। ‘करियर की भूखी’ औरतों के लिए भी उन्होंने तरीका खोज निकाला। एग फ्रीजिंग! कुछ समय पहले गूगल, फेसबुक और सिटी बैंक ने एक बड़ा एलान किया। वे अपनी महिला कर्मचारियों को हेल्थ बेनिफिट के तहत एग फ्रीज कराने की सुविधा भी डिस्कस कर रहे थे। ध्यान से पढ़िए- थायरॉइड या मेंटल हेल्थ नहीं- अंडे सुरक्षित कराने के लिए। वे इसे मर्द-औरत बराबरी की तरफ बड़ा कदम मान रहे थे।
तुम्हें नौकरी करनी है- करो। बिजनेस टूर पर जाना है- जाओ। बस, अपने एग संभालकर रखवा दो ताकि बुढ़ापे में जब तुम्हारी बायो क्लॉक टिकटिकाकर शांत हो जाए, बच्चे को इस दुनिया में लाया जा सके। ये एक तरह का बैकअप प्लान था।
यहां जानने लायक बात ये है कि औरतों की ही तरह मर्दों की भी बायोलॉजिकल क्लॉक होती है। साल 2005 में न्यूयॉर्क के पुरुष डॉक्टर हैरी फिच ने मेल बायोलॉजिकल क्लॉक नाम की किताब लिखी। उसमें सिलसिलेवार तरीके से बताया गया कि एक बच्चा सिर्फ खेत या जमीन का खेल नहीं, बल्कि उसमें माता-पिता दोनों का रोल होता है। उन्होंने ये भी बताया कि उम्र के साथ पुरुषों का स्पर्म भी कमजोर होता है और सेहतमंद बच्चे का जन्म मुश्किल हो जाता है।
किताब के मार्केट में आने के साथ ही हैरी का विरोध होने लगा। खुद उसके साथी डॉक्टरों ने कहा कि ऐसी किताब ‘बंजर’ औरतों को बढ़ावा दे सकती है।
बहरहाल! अच्छी खबर ये है कि इटली जैसे देशों के लाख बुलावे के बावजूद जवान औरतें वहां बसने से इनकार कर रही हैं। वे दुनिया घूम रही हैं और समझ रही हैं कि उनकी कोख जमीन नहीं, जिसपर खाद डालकर फसल रोपी जाए।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."