अब्दुल मोबीन सिद्दीकी की रिपोर्ट
बलरामपुर। धुसाह गांव में लगभग 22 साल पहले आवास विकास प्राधिकरण ने कलेक्ट्रेट के निकट धुसाह गांव में कालोनी निर्माण के लिए किसानों के 500 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। लगभग 300 किसान ऐसे थे जिनकी जमीन पर अधिग्रहण हुआ था। किसानों को लगा था कि उन्हें समुचित मुआवजा मिलेगा। मुआवजे का इंतजार करते-करते किसानों की आखें पथरा गई, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला।
आज 22 साल बाद भी किसान अपनी जमीन न तो बेच पा रहे हैं और न ही खेती कर पाने की स्थिति में हैं। नक्शा पास होने के अभाव में जमीन पर आवास बनाना भी कठिन है। सम्बन्धित विवाद जमीन पर आवास निर्माण का नक्शा नहीं पास कर रहा है। सरकारी विभागों का चक्कर काटकर किसान थक गए, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिला। विभागीय अधिकारियां का कहना है कि अधिग्रहण के दौरान किसी को आवास बनाने की छूट नहीं दी जा सकती। जबकि विभाग के बड़े अधिकारियों का कहना है कि दो साल में प्राधिकरण का कब्जा नहीं हुआ तो जमीन को आवास विकास से मुक्त समझना चाहिए।
बताते चलें कि धुसाह गांव में करीब तीन हजार रुपए वर्गफुट जमीन बिक रही है। तकनीकी दिक्कतों के कारण किसान अपनी जमीन नहीं बेच पा रहे हैं। विनियमित क्षेत्र के अवर अभियन्ता किसानों के जमीन पर खेती भी नहीं करने देते।
Author: samachar
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