नौशाद अली की रिपोर्ट
बलरामपुर। जनपद की सबसे पुरानी तहसील उतरौला में तीन चौथाई आबादी को रेहरा बाजार, सादुल्लाहनगर आने-जाने के लिए सरकारी परिवहन की सुविधा नसीब नहीं है। तहसील उतरौला मुख्यालय पर स्थित बस स्टेशन का आधुनिकीकरण एक करोड़ 20 लाख की लागत से करीब पांच साल पहले सरकार ने कराया था, लेकिन बसों की संख्या कम होने से यहां यात्री कम आते हैं।
तहसील उतरौला मुख्यालय पर सरकार ने क्षेत्रवासियों को सरकारी बसों की सुविधा देने के लिए पुराने बस स्टेशन का आधुनिकीकरण एक करोड़ 20 लाख की लागत से वर्ष 2015-16 में कराया गया था। उसमें बस स्टेशन प्रभारी, बड़े बाबू, चौकीदार व स्वीपर के पद सृजित किए गए, लेकिन बस स्टेशन प्रभारी की तैनाती आज तक नहीं हुई।
बस स्टेशन में बने कैंटीन की नीलामी न होने से कैंटीन बंद रहता है। क्षेत्रवासियों को इस बस स्टेशन पर रेहरा बाजार, सादुल्लाह नगर व गौरा चौराहा जाने के लिए बसें न मिलने से लोगों ने स्टेशन पर आना छोड़ दिया है।
उतरौला तहसील मुख्यालय से रेहरा बाजार, सादुल्लाह नगर की बस सेवा 20 वर्ष से चालू नहीं की गई। वहीं जिला मुख्यालय से उतरौला आने के लिए शाम छह बजे के बाद सरकारी बसों की सेवा नहीं है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि उतरौला मुख्यालय पर स्थित बस स्टेशन का आधुनिकीकरण होने से लोगों में अच्छी परिवहन सुविधा मिलने की आस जगी थी। जिम्मेदारों की उपेक्षा के कारण ऐसा नहीं हो सका। मोहम्मद आरिफ कहते हैं कि बस स्टेशन का आधुनिकीकरण होने के बाद भी रेहरा बाजार, सादुल्लाह नगर व गौरा चौराहा के लिए बसों को नहीं चलाया गया। इससे इसका लाभ क्षेत्रवासियों को नहीं मिल रहा है।
उतरौला में तीन चौथाई आबादी को आज भी आवागमन के लिए डग्गामार वाहनों का सहारा लेना पड़ता है। जिससे लोगों को आवागमन में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
निवासी कहते हैं कि, परिवहन विभाग को रेहरा बाजार, सादुल्लाह नगर व गौरा चौराहा के लिए बसों को चलाना चाहिए। उतरौला में ज्यादातर यात्री इन्हीं क्षेत्रों के हैं, जिन्हें तहसील, कचहरी व अन्य कार्यों के लिए प्रतिदिन तहसील मुख्यालय आना-जाना पड़ता है।
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."