कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
साड़ी में सांची के स्तूप, खजुराहो के मंदिरों की नृत्यांगनाओं के चित्र, बरात संग दुल्हन की डोली का दृश्य… हम किसी कला प्रदर्शनी की बात नहीं कर रहे। यह सब कुछ साड़ियों पर देखने को मिल रहा है। चंदेरी साड़ियों पर विशेष बुनाई करके बुनकरों ने अद्भुत आर्ट वर्क को साड़ियों पर उकेरा है। मध्य प्रदेश हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम और मध्यप्रदेश ग्रामोद्योग विभाग भोपाल की ओर से अलीगंज की राज्य ललित कला अकादमी में चल रही प्रदर्शनी में यह सब कुछ देखने को मिल रहा है।
यहां सोने के तारों वाली लखटकिया साड़ी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी है। प्रदर्शनी में 2800 रुपये से लेकर सबसे महंगी साड़ी एक लाख 29 हजार रुपये की है। इस साड़ी पर सोने के तारों का जरी वर्क किया गया है। ये साड़ी भी चंदेरी बुनकरों ने भी तैयार की है। एक लाख 29 हजार की इस साड़ी को विशेष एहतियात के साथ रखा गया है। साड़ी पर ओरिजनल जरी और मोर पंख डिजाइन है। चंदेरी के बुनकर घासीराम ने इस साड़ी को तैयार किया है। घासी राम बताते हैं कि इस तरह की साड़ियां विशेषकर राज घरानों के लिए तैयार की जाती थीं।
बदलते समय के साथ राज परिवारों के बाहर भी इन साड़ियों का चलन बड़ा। माचिस की तीलियों के साथ जरी वर्क को बांधने का काम किया जाता है। साड़ी पर मेहंदी भरे हाथ, जुगनू बूटी, राई बूटी, दो चश्मी आदि डिजाइन है। प्रदर्शनी के प्रभारी एमएल शर्मा ने बताया कि प्रदर्शनी में चंदेरी, महेश्वरी, मलवरी सिल्क, स्पेशल बाग, डाबू, बाटिक प्रिंट की साड़ियां और सूट खूब पसंद किए जा रहे हैं। साथ ही हथकरघा एवं हस्त शिल्प की मनभावन सामग्री भी है। पंचधातु बेल मेटल की मूर्तियां भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। चित्रकूट के लकड़ी के खिलौने भी पसंद किए जा रहे हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."