नौशाद अली की रिपोर्ट
बलरामपुर : जिले में आठ हजार लीटर दूध प्रतिदिन खपत हो रहा है। इनमें पराग डेयरी से आया दो हजार लीटर दूध ही शुद्धता के पैमाने पर खरा होता है जबकि छह हजार लीटर दूध की जांच ही नहीं हो पाती है।
सुबह होते ही चाय बनाने से लेकर शाम तक हर घर में दूध का प्रयोग होता है, लेकिन इसकी शुद्धता हमेशा सवालों के घेरे में रही फिर भी आंख बंद कर भरोसा करने के अलावा ग्राहकों के पास कोई विकल्प नहीं है।
पूरे जिले में प्रतिदिन खप रहे आठ हजार लीटर दूध में बलरामपुर में 800, तुलसीपुर में 600 व उतरौला में 400 समेत 2000 लीटर दूध पराग डेयरी का प्रयोग किया जाता है। यह दूध भी यहां के पशुपालकों से खरीदकर 52 दुग्ध समितियां गोंडा भेजती हैं जो वहां से दुबारा आकर बलरामपुर में खप जाता है।
आए दिन फूड प्वाइजनिग की घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन खाद्य पदार्थों में सबसे महत्वपूर्ण दूध कैसा होता है। इस पर लोगों की नजर नहीं जाती है। प्रशासन दिलचस्पी भी नहीं ले रहा है। शहर के बगल ही जुआथान व बहराइच रोड पर कई दुकानें चल रही हैं जहां दूधिए मक्खन निकलवाने के बाद दूध बेचने शहर आते हैं।
हालांकि दुग्ध संघ बलरामपुर परिक्षेत्र प्रभारी भूपति सिंह का कहना है कि जिले में भी तीन चौथाई हिस्सा दूध बिना जांच खपत होता है, लेकिन फिर भी यहां के दूधिए भरोसेमंद है। वह पानी के अलावा सिथेटिक समेत अन्य मिलावट नहीं करते हैं।

Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."