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November 23, 2024 8:35 am

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कट्टरता की बातें पढ़ाई जाती है इस मदरसे में, आपत्तिजनक लिखे हुए पंपलेट बरामद, कुछ हैरतअंगेज बातें भी आई सामने

11 पाठकों ने अब तक पढा

जीशान मेंहदी की रिपोर्ट

लखनऊ। गोसाईगंज के शिवलर स्थित मदरसा शफा मदीनतुल उलूम में आठ से 10 साल के बच्चों को कट्टरता का पाठ पढ़ाया जा रहा है। दोपहर में बच्चों के पैरों में बेडिय़ां लगाकर ताला जड़ दिया जाता है और शाम को खोल दिया जाता है। मंगलवार को यह राजफाश बाल संरक्षण आयोग की टीम के निरीक्षण में हुआ। मदरसे में एक्सपायर दवाइयां मिलीं, जिन्हें नष्ट करा दिया गया।

मंगलवार दोपहर बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डा. सुचिता चतुर्वेदी मदरसे में पहुंची। निरीक्षण में उन्हें एक पंफलेट मिला, जिसमें लिखा था दरि‍ंदों की खाल से मोजे बनाएं जाएंगे। अन्य तमाम बातें भी लिखी हैं। मदरसा अवैध रूप से संचालित है। मदरसे के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं।

डा. सुचिता चतुर्वेदी ने बताया कि बच्चों के सोने के लिए तख्त या गद्दे नहीं हैं। वे जमीन पर चादर बिछाकर सोते हैं। खाने में आलू के अलावा चना और मटर की दाल दी जा रही है। इसके अलावा दो बोरी गेंहू मिला। बच्चों के कुपोषित होने की आशंका है। इसलिए जांच कराने के लिए लिखा गया है।

चार जिलों के हैं 20 बच्चे, 17 मिले

मदरसे में लखनऊ, उन्नाव, सीतापुर और रायबरेली के कुल 20 बच्चे पंजीकृत हैं। मौके पर 17 मिले। एक इलाज के लिए गया था। बच्चों के बाहर जाने पर आउटपास से संबंधित रजिस्टर नहीं है। न ही यहां पर आगंतुक रजिस्टर मिला।

आयोग की सदस्य ने बताया कि यहां बच्चों को समाज की मुख्य धारा से दूर रखा गया है। धार्मिक शिक्षा के नाम पर उनकी स्कूली शिक्षा बंद हो गई है। पहले इनमें से कुछ बच्चे प्राथमिक विद्यालयों में जाते थे। कुछ बच्चों से पूछा गया कि वह स्कूल जाना चाहते हैं कि नहीं तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। पूछा कि वह बड़े होकर डाक्टर, इंजीनियर अथवा अधिकारी बनना चाहेंगे क्या? तो उन्होंने कहा कि वह मौलवी बनना चाहते हैं।

मदरसा संचालक हलीम ने कहा

पंफलेट हमने खुद छपवाए हैं। पंफलेट में हमारी हदीसों का जिक्र है। कोई आपत्तिजनक चीजें नहीं हैं। हमारे यहां मजबूर बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं कोई बहुत धनवान नहीं हैं। जकात से जो रुपया अथवा सहायता मिलती है हम उससे मदरसा चलाते हैं। बच्चों के पैर जंजीर से ताला बांधकर रखने की कुछ गलतियां हमारे यहां शिक्षकों से हुई हैं। उसकी का खामियाजा हम भुगत रहे हैं।   

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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