दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
एक पंजाबी गीत दो सप्ताह में तेजी से वायरल हो रहा है और उसको सुनने वालों की संख्या भी लाखों में पहुंच रही है। यह गीत सिद्धू मूसेवाल ने वाजिर रैपर के साथ मिलकर 15 मई को रिलीज किया था, शायद उसे पता नहीं था कि यह उसकी जिंदगी का आखिरी गीत है और इस गीत के बोल सच होने वाले हैं। यह गीत था “ओह चौबर दे चेहरे उत्ते नूर दसदां नी, एहदा उठेगा जवानी विच जनाजा मिठ्ठिये” और ज़िन्दगी का खेल देखिए कि महज, दो सप्ताह बाद ही सिद्धू मूसेवाला की गोलियां मारकर हत्या कर दी गई।
खुद पर ही गाया था गाना!
गीत के बोलों से भी यह लगता है कि सिद्धू ने यह गीत खुद पर ही गाया था, जिसमें वह कहते हैं कि चौबर यानी गबरू जवान के चेहरे पर काफी नूर दिख रहा है और इसका जनाजा जवानी में ही निकलने वाला है। यह गीत रविवार को हकीकत में बदल गया और सिद्धू मूसेवाला सदा के लिए गहरी नींद सो गया। सिद्धू मूसे वाला के कुछ फैंस ने इस गाने की एल्बम के कवर को भी सोशल मीडिया पर डाला है जिसपर एक बी एम डब्ल्यू की तस्वीर है जिसमे 1996 में यू एस के मशहूर रैपर टुपैक शाकुर (Tupac Shakur) सफर कर रहे थे और उन्हें भी इसी तरहं गोलीयों से भून दिया गया था। तो क्या यह मानना सही होगा कि सिद्धू मुससेवाला को धमकियां आ रही और उन्हें क्या इस बात का इलम हो गया था कि अब वो बच नही पाएंगे।
आपको बतां दे कि सिद्धू मूसेवाला की जिंदगी को खतरा था यह बात पंजाब की खुफिया व सुरक्षा एजेंसियों को पता थी। 16 सितंबर 2020 को जालंधर में दो बदमाश पकड़े गए थे, जिन्होंने पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला से भी फिरौती के 50 लाख मांगे थे और मना करने पर दोनों ने मूसेवाला की गोली मारकर हत्या करने की योजना बनाई थी। दोनों युवकों का नाम चंद्र खन्नी और गुरजिंद्र बताया जा रहा है।
जांच में जुटी पंजाब की सुरक्षा एजेंसी
पंजाब की सुरक्षा एजेंसियां अब उस मामले को दोबारा खोलने में जुट गई हैं और वो उस घटना से इसको जोड़ कर जांच में जुट गई है। अब जांच एजेंसियां उन दोनों आरोपीयों के बारे में पता कर रही है कि वो कगं है जेल में या जेई से बाहर। यह भी अंदाज़ लगाया जा रहा है कि कहीं उन दोनो आरोपियों का उस घटना से कोई लिंक तो नही? यह जानने की कोशिश की जा रही है। जांच एजेंसियों के साथ साथ पंजाब पुलिस की एस आई टी भी मामले की जांच में जुट गई है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."