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November 23, 2024 4:58 am

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आतंक और खौफ की ऐसी कहानी लिख दी इस शख्स ने कि सुनकर दिल दहल जाएगा

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अरमान अली की रिपोर्ट

जम्मू,  टेरर फंडिंग का दोषी अलगाववादी नेता यासीन मलिक आजीवन कारावास में रहेगा। बुधवार को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष एनआइए न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने यासीन मलिक को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

पटियाला हाउस की विशेष अदालत ने शाम करीब छह बजे अपना निर्णय पढ़ना शुरू किया। दस मई को टेरर फंडिंग मामले में यूएपीए के सभी आरोपों को मलिक ने स्वीकार कर लिया था। मलिक ने अदालत से कहा था कि वह उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों का सामना नहीं करना चाहता है।

आइए जानते हैं कुछ खास

जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट यानि प्रतिबंधित आतंकी संगठन जेकेएलएफ। यह वो संगठन है जिसने कभी भी कश्मीर का भला नहीं चाहा। वहां के युवाओं को आतंकी हिंसा में झोंककर उन्हें अलगाववाद के रास्ते पर ले गया। यह वही यासीन मलिक है जो तथाकथित तौर पर सबसे पहले आतंकी ट्रेनिंग लेने पाकिस्तान गया था।

यासीन के साथ तीन अन्य आतंकी भी पाकिस्तान ट्रेनिंग लेने गए थे। इनमें यासीन मलिक, अशफाक माजिद वानी, हमीद शेख और जावेद मीर शामिल थे। इन चार आतंकियों को हाजी ग्रुप के नाम से भी जाना जाता है। अब इन चारों में दो आतंकी हमीद और अशफाक मारे चुके हैं।

वर्ष 1987 के उपरांत यासीन मलिक व उसके साथी कश्मीर की कथित आजादी के नारे के साथ कश्मीरी मुस्लिमों को गुमराह करने में जुट गए। उन्होंने सबसे पहले कश्मीरी हिंदुओं को चुन-चुनकर मारा और फिर कश्मीरी हिंदुओं की मां-बहनों साथ रुह कंप-कपाने वाले काले कारनामे कर उन्हें कश्मीर घाटी से पालयन करने पर विवश कर दिया।

इसके खौफनाक कारनामे

यासीन मलिक ने अपने साथियों के साथ मिलकर 8 दिसंबर 1989 को तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री और पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की छोटी बेटी रूबिया सईद का अपहरण किया था। बदले में आतंकी अपनी मांगें मनवाने में कामयाब रहे थे। यह मामला अभी भी अदालत में विचाराधीन है।

अगस्त 1990 में यासीन मलिक हिंसा फैलाने के विभिन्न मामलों में पकड़ा गया और 1994 में वह जेल से छूूटा। जेल से छूटते ही उसने कहा कि वह अब बंदूक नहीं उठाएगा, लेकिन कश्मीर की आजादी के लिए लड़ेगा।

1994 में जेल से छूटने के बाद 1998 तक वह कई बार पकड़ा गया और कभी एक माह तो कभी तीन माह बाद जेल से छूटता रहा है।

अक्टूबर 1999 में यासीन मलिक को पुलिस ने राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में सलिंप्तता के आधार जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बनाया था।

कुछ समय बाद वह जेल से छूट गया और 26 मार्च 2002 को उसे हवाला से संबंधित एक मामले में पोटा के तहत गिरफ्तार किया गया था।

वर्ष 2009 में उसने पाकिस्तान की रहने वाली मुशाल मलिक से शादी की। मुशाल मलिक एक चित्रकार है। दोनों की एक बेटी रजिया सुल्तान है जो वर्ष 2012 में पैदा हुई है।

वर्ष 2013 में उसने पाकिस्तान में लश्कर के सरगना हाफिज सईद के साथ मिलकर कश्मीर में सुरक्षाबलों पर आम कश्मीरियों के मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाते हुए धरना दिया था।  

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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