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November 22, 2024 7:55 pm

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सराहनीय ; मंगेतर का पैर कटने के बाद भी युवती ने की शादी, पढ़िए रीयल लाइफ की रील स्टोरी

13 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

हरदोई,  विवाह फिल्म के पूनम और प्रेम की दिल को छू लेने वाली कहानी पर यह सत्य घटना भारी है। पिहानी के हन्न पसिगवां निवासी टेंट कारोबारी आदित्य और लखीमपुर के जमुका की सरोजनी की इस कहानी में अंतर बस इतना है कि यह नायक नहीं, नायिका के विशाल व्यक्तित्व का दर्शन कराती है। रूपहले पर्दे पर प्रेम ने जलने के बाद पूनम का वरण किया, तो यहां सरोजनी ने मंगेतर का पैर कटने के बाद तमाम दबावों को दरकिनार कर उसके संग सात फेरे लेकर मिसाल कायम की है। आइए दिखाते हैं आह से वाह तक एक विवाह जिसकी इन दिनों हरदोई से लेकर लखीमपुर तक चर्चा है।

आदित्य की शादी लखीमपुर जिले के पसगवां थाना क्षेत्र के जमुका निवासी रामशंकर की पुत्री सरोजनी के साथ तय हुई और 12 जून 2021 को तिलक भी हो गया था, लेकिन शादी आगे बढ़ती गई। 12 मई, 2022 को शादी होनी थी, लेकिन उसके पहले एक अप्रैल को जहानीखेड़ा जाते समय आदित्य हादसे का शिकार हो गया और उसका एक पैर काटना पड़ेगा। लखनऊ के एक अस्पताल में भर्ती आदित्य को देखने सरोजनी पहुंची तब आदित्य ने उससे कहा कि अब वह उसका सहारा नहीं बन पाएगा, बल्कि उसे (सरोजनी) को ही सहारा देना होगा, इसलिए वह शादी तोड़ दे।

वहीं सरोजनी के घरवालों की भी यही राय थी। इससे इतर सरोजनी ने सोच लिया कि वह शादी करेगी तो आदित्य से ही करेगी। चार अप्रैल को आदित्य का पैर काट दिया गया, लेकिन सरोजनी अपने निर्णय से टस से मस नहीं हुई। अस्पताल में रुककर उसकी सेवा करती रही। आदित्य जब ठीक हो गया तो 27 अप्रैल को उसकी छुट्टी हुई। आदित्य घर चला आया और सरोजनी अपने गांव चली गई।

आदित्य के पिता कलेक्टर बताते हैं कि 12 मई को शादी होनी थी तो उन्होंने सरोजनी के पिता रामशंकर से फोन करके पूछा कि क्या अब भी वह शादी करेंगे। वह कुछ कहते, उससे पहले ही सरोजनी ने ही कह दिया कि अब वह शादी करेगी तो आदित्य से ही करेगी।

12 मई को आदित्य बरात लेकर सरोजनी के घर पहुंचा और सरोजनी ने दिव्यांगता का वरण करते हुए आदित्य के साथ सात फेरे लिए। 13 मई को सरोजनी विदा होकर ससुराल आई। उसकी सास पुष्पा बताती हैं कि बहू सरोजनी बेटे का सहारा है और कभी भी उसे अहसास नहीं होने देती है कि उसका एक पैर नहीं है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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