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2 April 2025 4:13 pm

अन्नदाता आए फिर से सड़क पर ; मुख्यमंत्री भगवंत मान संग चल रही मीटिंग, देखिए वीडियो ?

71 पाठकों ने अब तक पढा

राकेश सूद की रिपोर्ट

चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर आंदोलन में डटे किसान यूनियनों के नेता CM भगवंत मान के बीच करीब दो घंटे चली मीटिंग खत्म हो गई है। मीटिंग में क्या फैसला हुआ, जल्द ही किसान नेता बाहर आकर इसकी जानकारी देंगे। वहीं सरकार की तरफ से भी इस संबंध में जानकारी दी जाएगी। किसान नेता चेतावनी दे चुके हैं कि मांगें पूरी होने तक मोहाली में उनका मोर्चा जारी रहेगा। अगर CM से बातचीत फेल हुई तो फिर वह हर हाल में चंडीगढ़ कूच करेंगे।

किसान नेता जगजीत डल्लेवाल ने कहा कि अभी सिर्फ बातचीत के लिए बुलाया है। सरकार ने मांगें नहीं मानीं। आंदोलन का अगला रुख क्या होगा, यह CM से मीटिंग पर निर्भर करता है। अगर हम एक बैरिकेड तोड़ सकते हैं तो बाकी भी तोड़ सकते हैं। फिलहाल हमें सरकार से सकारात्मक बातचीत की उम्मीद है।

इसलिए आई धरने की नौबत

किसान नेता हरिंदर लक्खोवाल ने कहा कि एक महीने पहले हमारी CM भगवंत मान से मुलाकात हुई थी। उन्होंने 10 दिन में मांगें मानने का भरोसा दिया था। इसके बाद न तो मांगें मानी गईं और न ही मान ने मीटिंग के लिए दोबारा वक्त दिया। इसके बाद हमने 17 मई तक का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया।

किसानों की यह मांगें

गेहूं की झाड़ कम होने की वजह से पंजाब सरकार 500 रुपए प्रति एकड़ बोनस दे।

चिप वाले बिजली मीटर लगाने का फैसला रद्द हो।

मक्की और मूंग को MSP पर खरीदने के बारे में नोटिफिकेशन जारी करो।

बासमती का भाव 4500 रुपए प्रति क्विंटल ऐलान कर नोटिफिकेशन जारी करो।

भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) में पंजाब के प्रतिनिधि की बहाली करवाओ।

केंद्रीय पूल से मिलने वाली बिजली को पहले की तरह बहाल करवाओ।

धान लगाने के लिए 10 जून से किसानों को बिजली और नहरी पानी उपलब्ध करवाओ।

खेती मोटरों का लोड बढ़ाने के लिए फीस को 4800 से घटाकर 1200 किया जाए।

गन्ने की फसल का बकाया दाम में की गई 35 रुपए बढ़ोतरी के साथ तुरंत अदा करो।

कर्जे के कारण किसानों के वारंट और कुर्कियां बंद करवाओ। बैंकों के लगाए 22 हजार केस वापस लो। चुनावी वादे के मुताबिक किसानों का कर्जा माफ करो।

पंचायती जमीनों के नाम पर आबाद किसानों की जमीनें छीननी बंद करो।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."