मातृ दिवस…… जो केवल एक नहीं ,हर दिन मनाया जाने वाला दिवस है। “मां” एक ऐसी अभिव्यक्ति जिसके लिए शब्दों का सागर भी पर्याप्त नहीं। “मां” को नमन करते हुए डाक्टर निधि माहेश्वरी की दो पंक्तियां:
“मां तेरा प्यार”
कभी खट्टी चटनी सी तेरी डांट,
कभी मीठे रसगुल्ले सा तेरा प्यार,
जो कुछ भी हूं आज तुझसे ही हूं,
तूने ही दिया इस जीवन को आकार।।
वो मेरे हरदम फैले से बाल ,
प्यार से हाथ फेरना देना दुलार,
ऊंचे नीचे बटनों को फिर से लगाना ,
तेरा गले लगाकर देना प्यार अपार।।
तेरा प्यार वो नहीं जो शब्दों में तोल दूं,
तुझसे ही आज मेरे सपने हैं साकार ,
सूरज की गर्मी चांद की ठंडक भी तू,
तेरी दुआएं ही लाएं जीवन में बहार।।
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मां- मेरे हर जख्म का मरहम
जड़ से चेतन बनने का सफर,
शून्य से अस्तित्व की डगर,
तू है तो ये सारा जहान है मां,
तुझ बिन रुक जाए, सृष्टि का ये चक्र।।
तेरे बलिदानों का ना कोई हिसाब,
ना ही तेरी ममता का कोई बखान,
तेरी गोद में पाई मैंने जो राहत,
उसका कुछ शब्दों में कैसे करूं बखान?।।
कोई कहे सृष्टि का आधार है तू,
कोई कहे नवचेतना का संसार है तू,
कितने ही शब्दों में बांधना चाहे कवि कोई,
पर मां.. अनंत शब्दों का संसार है तू।।
तू वो नहीं जो कुछ कविताओं में समा जाए,
तू वो नहीं जो कुछ शब्दों में ढल जाए,
जख्म चाहे हो मेरा कितना भी गहरा,
हर जख्म का मां तू मरहम बन जाए।।
डा. निधि माहेश्वरी
पूर्व माध्यमिक विद्यालय,उदयपुर
ब्लॉक व जनपद , हापुड़
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."