दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
आगरा। केंद्र व राज्य सरकार गरीबों को अनाज वितरण करने में कसर नहीं छोड़ रहीं लेकिन आगरा में अभी हाल ही में ऐसा मामला सामने आया, जिसने सब की आंखें खाेल दीं। सरकारी चावल और गेहूं का इस्तेमाल गरीब के चूल्हे में नहीं बल्कि नमकीन बनाने की फैक्ट्रियों में हो रहा है। इसके लिए पूरा नेटवर्क बना हुआ है।
कार्ड धारक ग्रामीणों से खरीदने के बाद सरकारी चावल और गेंहू को नमकीन बनाने वालों के यहां खपाया जा रहा था। सरकारी राशन को खरीदने और बेचने की पूरी चेन है। जो इस खेल में मुनाफा कमा रही है।
पुलिस द्वारा की जा रही छानबीन में यह जानकारी सामने आई है। पुलिस अब कार्ड धारकों से राशन खरीदने वालों के बारे में जानकारी जुटा रही है। जिससे कि पूरे खेल की तह तक पहुंच सके।
जगदीशपुरा के बिचपुरी इलाके में पुलिस और आपूर्ति विभाग की टीम ने 28 अप्रैल को एक गोदाम पर छापा मारा था। वहां से 350 बोरी चावल और 150 बोरी गेंहू बरामद किया था।
मामले में पूर्ति निरीक्षक द्वारा गोदाम मालिक हेमेंद्र उर्फ गाेपाल निवासी मलपुरा के खिलाफ जगदीशपुरा थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है।
पुलिस के अनुसार आरोपित पर तीन मलपुरा थाने में तीन मुकदमे पहले से दर्ज हैं। यह तीनों मुकदमे में सरकारी राशन की खरीद-फरोख्त से संबंधित हैं।
इंस्पेक्टर जगदीशपुरा प्रवींद्र कुमार सिंह के अनुसार पुलिस ने आरोपित से पूछताछ की है। राशन को खरीदने के बाद कहां-कहां बेचा जाता है। इसकी भी छानबीन कर रही है। जिसमें सामने आया है कि गोदाम मालिक इस राशन को खरीदने के बाद नमकीन बनाने वालो मोटे मुनाफे पर बेच देता था।
नमकीन बनाने में चावल और गेंहू का प्रयाेग किया जाता है। वहीं चावल को आटा चक्की वाले भी खरीदते हैं। जिसे गेंहू में मिलाकर पीसते हैं। चावल मिलाकर पीसे गए आटे की रोटी सफेद होती है। इंस्पेक्टर ने बताया कार्ड धारकों से राशन खरीदने वाले दलालों के बारे में पता किया जा रहा है। जिससे यह लोग कहां-कहां सक्रिय हैं, इसकी जानकारी जुटाई जा सके।
दोपहिया वाहनों पर दाल-मसाले आदि बेचने वाले सरकारी गेंहू और चावल को 12 रुपये प्रति किलो के हिसाब से कार्ड धारकों से खरीदते हैं।
-जिसे गोदाम मालिक को वह 14 से 15 रुपये में बेचते थे। प्रति किलोग्राम तीन से चार रुपये तक लाभ कमाते हैं।
-गोदाम मालिक इस गेंहू को आटा चक्की वालों और चावल को नमकीन बनाने वालों को 20- 22 रुपये तक है।
-नमकीन बनाने वाले चावल को बेसन में मिला देते हैं, इससे तैयार नमकीन को पैक करके बाजार में बेचते हैं।
मिलावट के पीछे सीधे तौर पर वजह है कि जो सस्ता मिले उसे खपा लो। नमकीन में प्रयुक्त बेसन महंगा है, एक हिस्से की मिलावट कर दिए जाने से ही कीमत में बड़ा अंतर आ जाता है। इसी तरह गेहूं की तुलना में सरकारी चावल सस्ता है। आटे में चावल मिला दिए जाने से मुनाफा बढ़ जाता है।
Author: samachar
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