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15 January 2025 3:18 pm

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….ये तस्वीरें सुकून देती हैं और बताती हैं कि अभी देश में शांतिप्रिय लोग हैं, आप भी देखिए और समझिए

31 पाठकों ने अब तक पढा

गुंजन परिहार की रिपोर्ट

ये दो तस्वीरें हैं, लेकिन बेहद सुकून देने वाली तस्वीरें हैं। इन दो तस्वीरों को एक साथ इसलिए रखा है, ताकि दो जिस्म एक जान वाली कहावत आपको समझा सकें। भारत की गंगा-जमुनी तहजीब और सह-अस्तित्व के महत्व को एक बार फिर प्राथमिकता से समझा जा सके। एक तस्वीर रोजा इफ्तार की है तो दूसरी परशुराम जयंती के अवसर पर निकाली गई शोभा यात्रा की है। इन दो तस्वीरों में वैसे तो ज्यादा कुछ नहीं है, लेकिन धार्मिक सौहार्द का संदेश कूट-कूटकर भरा हुआ है। चलिए इन दोनों तस्वीरों के महत्व को समझते हैं।

पहले बात रोज इफ्तार की

रोजा इफ्तार की यह तस्वीर मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले की है। यह तस्वीर अलग-अलग धर्मों के अनुयायियों के एक-दूसरे के प्रति नेकी और भाईचारे की बहुत ही अच्छी मिशाल है। यहां हिंदू समाज के लोगों ने रमजान के इस पाक महीने में रोजा कर रहे मुस्लिम भाइयों को मस्जिद में रोजा इफ्तार कराया। यहां के हिंदू परिवारों ने सुन्नी हनफी अब्बासिया मस्जिद में रोजा रख रहे मुस्लिम भाईयों को रोजा इफ्तार कराया और मुस्लिम भाईयों ने हिंदू परिवारों की तरफ से इस प्रेम के स्वाद को पूरे मन से चखा। मुस्लिमों ने देश में हिंदू-मुस्लिमों के बीच भाईचार बना रहे, इसके लिए दुआ मांगी।

इस तस्वीर को गौर से देखें तो यह आपसी भाईचारे की अनूठी कहानी बयां करती है। यहां आपकी भरोसा और भाईचारा नजर आता है। दरअसल यह तस्वीर धर्म के उन ठेकेदारों के लिए एक आईना भी है जो समाज में धर्म के नाम पर दो इंसानों और दो समुदायों के बीच बीच नफरत पैदा करने की नापाक कोशिश करते हैं।

अब बात परशुराम जयंती की

यह दूसरी तस्वीर रतलाम की है। एक बार फिर यह तस्वीर भी साम्प्रदायिक सौहार्द को बहुत ही अच्छे तरीके से दर्शाती है। परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में रविवार को यहां परशुराम युवा मंच के बैनर तले ब्राह्मणों ने रैली निकाली। रैली का यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब पसंद किया जा रहा है, क्योंकि यहां ब्राह्मणों की इस रैली पर मु्स्लिम समाज के लोगों ने फूल बरसाए, उनका स्वागत किया और एक बार फिर बताया कि हमारे देश का असली रंग क्या है।

इससे पहले एक सप्ताह पूर्व भी सांवरिया सेठ पैदल यात्रा का भी मुस्लिम समाज ने स्वागत किया था। यह दोनों तस्वीरे दिखाना जरूरी है, क्योंकि इस देश का मूल फैब्रिक ऐसा ही है। समाज इसी तरह से घुल-मिलकर रहता है और एक-दूसरे के उत्सवों में जश्न मनाता है। हिंदू हो या मुस्लिम, सिख हों या ईसाई या किसी अन्य धर्म के लोग, भारत भूमि पर सभी धार्मिक सौहार्द के साथ खुशी-खुशी रहते हैं। लेकिन कभी-कभी इस भाईचारे को नजर लग जाती है।

भाईचारे को नजर भी लगती है

Khargone violence

भारत में सभी धर्मों के लोग आपसी भाईचारे के साथ रहते हैं। लेकिन कभी-कभी इस भाईचारे को नजर भी लग जाती है। कहीं धार्मिक रैली पर पत्थरबाजी की खबरें आती हैं तो कहीं धार्मिक पूजा और अनुष्ठान में विघ्न डालने और कहीं किसी के पहनावे व खान-पान के खिलाफ खड़े होने की खबरें भी सामने आती हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश के खरगोन, दिल्ली, उत्तराखंड सहित कई जगहों से धार्मिक रैली पर पथराव की खबरें आईं थी, जिसके बाद वहां कर्फ्यू तक लगाना पड़ा था।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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