संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट- वृक्ष हमारे जीवन के प्रमुख अंग हैं जिनके सहारे जन जीवन चलता है लेकिन कुछ अराजकतत्वों द्वारा इन हरे भरे पौधों व वृक्षों को नष्ट करने का काम किया जाता है लेकिन जब जिम्मेदार अधिकारियों से शिकायत की जाती है तो वह भी लापरवाही बरतने का काम करते हैं जिसके चलते यह दबंग मनमाने तरीके से हरे भरे पौधों को नष्ट करते हुए नजर आते हैं l
ऐसा ही एक मामला सामने आया है राजापुर थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत सगवारा का l
ग्राम पंचायत सगवारा निवासी पीड़ित बलदाऊ द्विवेदी के तालाब में लगभग 50 पेड़ लगे थे जिसको गांव के ही दबंग बबलू पुत्र चुन्नू पांडेय व चुन्नू पुत्र चंद्रभूषण पांडेय ने आग लगा दी है जिससे सारे पौधे जल कर खाक हो गए हैं जिसकी तहरीर पीड़ित ने थाना राजापुर में लगभग 10 दिन पहले दे दी थी लेकिन इनके खिलाफ अभी तक कोई कार्यवाही नही हुई है यह
20 अप्रैल की घटना है l
पीड़ित बलदाऊ का 1बीघा 10 विस्वा का तालाब है और बाकी तालाब सरकारी है लेकिन इस सरकारी तालाब की देख रेख भी बलदाऊ करते है l
पीड़ित बलदाऊ द्वारा लगाए गए पौधों में 15 पेड़ आम, 4 पेड़ नीबू, 5 पेड़ आंवला ,12 पेड़ महुवा ,10 पेड़ अमरूद, 2 पेड़ करौदा व नीम, बरगद व पीपल के पौधे थे l
जिसको दबंगों द्वारा आग लगाकर 20 अप्रैल को नष्ट कर दिया गया है इन पौधों को लगाए लगभग 10 साल हो गए हैं लेकिन दबंगों ने अपनी मनमानी करते हुए इन पौधों को आग लगाकर नष्ट करने का काम किया है l
वृक्ष हमारे जीवन के अमूल्य अंग हैं जो हमें आक्सीजन देने का काम करते हैं जिनके सहारे जन जीवन चलता है लेकिन कुछ अराजकतत्वों द्वारा वृक्षों को नष्ट करने का काम किया जाता है जो कानूनन जुर्म है l
कोरोना काल में आक्सीजन की कमी के चलते हजारों लोग काल के गाल में समा गए हैं व ज्यादातर मरीजों की मौतें आक्सीजन की कमी के चलते हुई है अगर इन मरीजों को सही समय पर अक्सीजन मिल जाता तो शायद यह लोग काल के गाल में समाने पाते लेकिन इतनी भयावह संकट से गुजरने के बाद भी लोगों को वृक्षों के प्रति कोई संवेदनाएं नहीं दिखाई देती हैं व अपनी मनमानी करते हुए वृक्षों का कटान व नष्ट करने का काम करते हैं जो आम जन जीवन के लिए बहुत बड़ा खतरा है ऐसे लापरवाह लोगो के ऊपर शासन प्रशासन को सख्त कार्यवाही करने की जरूरत है जिससे पौधों के कटान व वृक्षों को नष्ट करने से रोका जा सके l
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."