संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट- ग्राम पंचायतों को खुले में शौच मुक्त करने के प्रशासन के तमाम दावे सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह गए हैं जबकि ग्राम पंचायतों की हकीकत यह है कि जिन ग्राम पंचायतों को प्रशासन ने ओडीएफ घोषित कर दिया है उन ग्राम पंचायतों के ग्रामीण आज भी खुले में शौच करने के लिए जा रहे हैं l
यह हाल जिले के पांचों विकास खंडों की ग्राम पंचायतों में देखने को मिल रहा है l
शौचालयों में भर दिए कंडे व घास, खुले में जा रहे शौच
खुले में शौच मुक्त करने के प्रशासन के तमाम दावे सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह गए हैं। हकीकत यह है कि जिन ग्राम पंचायतों को प्रशासन ने ओडीएफ घोषित कर दिया है। वहां ग्रामीण ने शौचालयों के अधूरे होने के कारण कंडे व घास भर दिया है व खुले में आज भी शौच करने के लिए जा रहे हैं l
यह हाल जिले की पांचों विकास खंडों में देखने को मिल रहा है जहां पर ग्रामीणों ने अपने शौचालयों में लकड़ी-कंडे से लेकर तमाम सामान भर रखा है वहीं कई गांव ऐसे हैं जहां पर ज्यादातर शौचालय बने ही नहीं है सिर्फ कागजों में शौचालय निर्माण का कोरम पूरा कर सरकारी धन का बंदरबाट किया गया है वहीं ग्राम पंचायतों में बने शौचालय जर्जर दिखाई देने लगे हैं कई शौचालय आज भी अधूरे पड़े हैं l
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत ग्राम पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए प्रति लाभार्थी लगभग 12 हजार की लागत से शौचालय ग्रामीणों के लिए बनवाए गए थे जिनका निर्माण ग्राम प्रधान व सचिव द्वारा कराया गया था वहीं कुछ लाभार्थियों के खाते में दो किश्तों में बारह हजार रुपए की धनराशि शौचालय निर्माण के लिए दी गई थी लेकिन ग्राम प्रधान व सचिव द्वारा बनवाए गए इन शौचालयों का उपयोग ग्रामीण करना नहीं चाहते जिस वजह से शौचालय जर्जर हो गए हैं जिसके चलते लोग गांवों मे खुले में लोटा लेकर शौच के लिए जा रहे हैं l
ग्रामीणों को खुले में शौच जाने से रोकने के लिए जिले की प्रत्येक ग्राम पंचायतों में शौचालयों का निर्माण बड़ी मात्रा में कराया गया है l
वहीं शौचालयों के निर्माण को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम प्रधान व सचिव ने शौचालय तो बनवा दिए लेकिन शौचालय निर्माण इतना घटिया किस्म की सामग्री से कराया गया है कि, इसके गेट और दीवारें पूरी तरह से टूट चुकी हैं वहीं कई शौचालय ऐसे हैं जिनमें से में न तो सीट बैठाई गई है और न ही गड्ढे खोदे गए हैं सिर्फ़ शौचालय का डिब्बा खड़ा कर फ़ोटो खींच ली गई है व फ़ोटो अपलोड कर शौचालय निर्माण पूरा दिखाकर धन हड़प लिया गया है वहीं कई शौचालय ऐसे भी हैं जहां शौचालयों में लकड़ी, कंडों के साथ भूसा भरा हुआ है और लोग खुले में शौच करने के लिए जा रहे हैं l
जिले में 80 फीसदी ग्रामीण खुले में जा रहे शौच
जिले के सभी विकास खंडों में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत बनाए गए शौचालय में कहीं गड्ढा खुला है तो कहीं सीट नहीं तो कहीं अधूरा ही छोड़ दिया और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत आई शौचालय निर्माण की धनराशि ग्राम प्रधान व सचिव ने मिलकर हड़प ली। यह स्थिति जिले की हर ग्राम पंचायत में देखने को मिल रही है जहां पर बनाए गए शौचालय दिखावटी साबित हो रहे हैं l
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत बनाए गए शौचालयों की खानापूर्ति कागजों में कर दी गई है शौचालयों में या तो गड्ढे नहीं खोदे गए या फिर कंप्लीट नहीं किए गए जिसके कारण ग्राम पंचायतों में बनाए शौचालय अनुपयोगी बने हुए हैं l
जिले में शौचालय निर्माण के नाम पर करोड़ों रुपए का हुआ गबन
भारत सरकार के स्वच्छता अभियान के नाम पर ग्राम पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत जिले में हजारों की तादाद में शौचालय बनाए गए थे, इन शौचालयों को बनवाने में सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किए हैं लेकिन ग्राम पंचायतों में ग्राम प्रधान व सचिव द्वारा घटिया क्वालिटी के शौचालय बनवाने के कारण यह ध्वस्त हो गए हैं जिसके कारण ग्रामीणों द्वारा इन शौचालयों में कंडे एवं घास भरी जा रही है व स्वच्छ भारत मिशन ( ग्रामीण) की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं ।
सुविधाओं से दूर शौचालय, न टंकी बनी है और न ही वाश बेसिन
ग्राम पंचायतों में शौचालयों के निर्माण कराने में घोर अनियमितता बरती गई है ग्रामीणों के घरों पर बनाए गए शौचालयों में कहीं भी टंकी नहीं रखवाई और न ही वासवेशन लगावाया है अधिकांश शौचालयों के गड्ढे ही नहीं खोदे गए जिससे उपयोग में ना आने के कारण ग्रामीणों ने शौचालयों में लकड़ी कंडे व घास भर दिए हैं l
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत बनाए गए शौचालयों के निर्माण पर हुई धांधली जिम्मेदार अधिकारियों की संलिप्तता, शिकायतों का नहीं दिया जाता जवाब
स्वच्छ भारत अभियान के तहत पंचायती राज विभाग द्वारा स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत ग्राम पंचायतों में शौचालयों का निर्माण कराया गया था जिसमें गांवों में सभी लाभार्थियों के यहां शौचालयों का निर्माण करा गया है कई लाभार्थियों के यहां शौचालय अधूरा पड़े हैं व कई शौचालयों का पैसा बिना निर्माण कार्य कराए फर्जी फोटो अपलोड कर सरकारी धन निकालने का काम किया गया है ग्राम पंचायतों में ग्राम प्रधानों व सचिवों की मनमानी के चलते शौचालयों के निर्माण का पैसा गबन कर लिया गया है वहीं जब ग्रामीणों द्वारा शौचालय निर्माण में हुए फर्जीवाड़े की शिकायत ब्लाक में सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) से की जाती है तो वह भी शिकायतों की अनदेखी करते हैं वहीं जब ग्रामीणों द्वारा पंचायती राज विभाग के जिम्मेदार अधिकारी जिला पंचायत राज अधिकारी से की जाती है तो वहां पर मौजूद कर्मियों द्वारा पहले तो शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया जाता फिर अगर किसी शिकायत पर कार्यवाही व जांच की बात आती है तो जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा मामले को दबाने का काम किया जाता है व शिकायत ठंडे बस्ते में डालने का काम किया जाता है l
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."