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November 23, 2024 6:43 am

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चाचा भतीजे का जंग अब निर्णायक मोड़ के करीब ; शिवपाल यादव भाजपा के दरवाजे पर

12 पाठकों ने अब तक पढा

जीशान मेंहदी की रिपोर्ट

सपा को स्थापित करने में मुलायम सिंह के साथ जूझने वाले शिवपाल यादव अब वैचारिक तौर पर भाजपा के करीब आ गए हैं। वे भाजपा में शामिल होने को तैयार हैं। भाजपा उन्हें कब शामिल कराती है और उन्हें किस भूमिका में रखेगी इस पर जल्द निर्णय होगा। पर चाचा भतीजे यानी शिवपाल अखिलेश की छह साल से चल रही जंग अब निर्णायक मोड़ पर आ गई है। इसमें समाजवादी पार्टी को नुकसान हो सकता है। 

बताया जा रहा है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश (जेपी) नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रभारी धर्मेन्द्र प्रभारी की मौजूदगी में शिवपाल सिंह यादव अपने बेटे आदित्य यादव तथा समर्थकों के साथ भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे। सूत्रों का कहना है कि शिवपाल सिंह यादव नई दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता लेंगे।  

इससे पहले शिवपाल सिंह यादव ने शुक्रवार को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया की बैठक के अपनी सभी राज्य कार्य समितियों, राष्ट्रीय और राज्य कार्य प्रकोष्ठों और प्रवकतओं को भंग कर दिया है। उनके इस कदम को काफी गंभीरता से लिया जा रहा है।  

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजे आने के बाद से ही अपने भतीजे और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से नाराज बताए जा रहे प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के मुखिया शिवपाल यादव ने अब जंग का आगाज कर दिया है। शिवपाल यादव ने शुक्रवार को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी एवं राष्ट्रीय/ प्रादेशिक प्रकोष्ठों के कार्यकारिणी अध्यक्ष समेत संपूर्ण प्रवक्ता मंडल को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शिवपाल यादव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलने जा रहे हैं। शिवपाल ने मुलाकात के लिए पीएमओ से समय मांगा है। दिल्ली में उनकी मुलाकात लालकृष्ण आडवानी से भी होनी है। उनकी सियासत में बदलाव पिछले कुछ दिनों से दिखाई दे रही है। उनके ट्वीट और बातों से साफ इशारा मिल रहा है कि उनका मूड भाजपा में जाने को लेकर साफ हो चुका है। माना जा रहा है कि भतीजे अखिलेश की तरफ से उनको मनाने या रोकने की कोई कोशिश न होना भी उन्हें खल रहा है। 

शिवपाल यादव के साथ सपा के पुराने कार्यकर्ताओं का जुड़ाव रहा है। मुलायम के गढ़ वाले इलाकों में शिवपाल की अपनी पकड़ रही है। इटावा, मैनपुरी, फिरोजाबाद ही नहीं आजमगढ़ के कार्यकर्ताओं में शिवपाल की पैठ रही है। मुलायम परिवार के बड़े कद्दावर नेता को अपने साथ  लाकर भाजपा अखिलेश यादव पर दबाव बढ़ा सकती है। 

असल में अखिलेश सरकार के आखिर दौर में सपा में अंतर्कलह बहुत बढ़ गई थी। उसके बाद चुनाव में सपा तो सत्ता से बाहर हो गई। शिवपाल यादव उस  चुनाव में  सपा के टिकट पर जीते थे। लेकिन पार्टी में उन्हें कोई भूमिका नहीं मिली। मुलायम सिंह यादव ने भी इस पर कोई  प्रभावी निर्णय नहीं लिया। कभी लगा वह अखिलेश  के साथ हैं और कभी लगा कि वह शिवपाल के साथ। जब शिवपाल का धैर्य जवाब दे गया तो उन्होंने 2018 में प्रगतिशील समाज पार्टी (लोहिया) बना ली।

लोकसभा चुनाव में यह पार्टी कुछ खास नहीं कर पाई। खुद शिवपाल फिरोजाबाद से लोकसभा चुनाव हार गए। जब 2022 के चुनाव आए तो वक्ती जरूरतों को देखते हुए अखिलेश ने शिवपाल को साथ ले लिया लेकिन आंतरिक दूरियां बनी रहीं। यह पूरे चुनाव अभियान में दिख गया। शिवपाल सौ सीट मांग रहे थे। लेकिन उन्हें ही सपा से टिकट मिला और जीत गए लेकिन बेटे समेत किसी को भी टिकट नहीं दिला पाए। इसके बाद अचानक शिवपाल यादव ने अपनी अब तक सियासत में वैचारिक तौर पर बदलाव लाना शुरू किया। 

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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