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8 January 2025 4:01 am

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भारत-नेपाल सीमा से जुड़े भारतीय जिलों में मदरसों की बढ़ी संख्या ने सुरक्षा एजेंसियों की सांसें तेज कर दी

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मिश्रीलाल कोरी, रश्मि प्रभा और राजा कुमार साह की रिपोर्ट

लखनऊ ,  पड़ोसी देश नेपाल से भारत के रिश्ते मित्रवत रहे हैं। दोनों देशों में रोटी-बेटी का रिश्ता माना जाता रहा है। बीते सप्ताह ही नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा भारत आए। धार्मिक मैत्री व आस्था को नया आयाम देते हुए बिहार के जयनगर से नेपाल के जनकपुर तक ट्रेन सेवा का शुभारंभ भी किया गया लेकिन एक विषय चिंताजनक है, सीमा से जुड़े भारतीय जिलों में मदरसों की बढ़ी संख्या व बदलती जनसांख्किीय। बीते कुछ वर्ष में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार में नेपाल सीमा के पास मदरसों और मस्जिदों की संख्या में वृद्धि हुई है।

सात जिलों से सटी नेपाल की 550 किलोमीटर सीमा जनसंख्या संतुलन के लिए संवेदनशील होती जा रही है। कुछ क्षेत्रों में मु्स्लिम आबादी बढ़ी है।मदरसों और मस्जिदों की बढ़ती संख्या भी चिंता का विषय है। खुफिया इकाइयों ने यहां आबादी के बिगड़ते संतुलन को लेकर चिंता जताई है। गोरखपुर और उसके आसपास के जनपदों से सटी नेपाल सीमा अधिक संवेदनशील है।

बिहार- नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र मोतिहारी से राजा कुमार साह की रिपोर्ट है कि, उत्तर बिहार के नेपाल सीमा से सटे मधुबनी, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण और सीतामढ़ी जिले में 10 वर्ष में मदरसों की संख्या बढ़ी है। खासतौर से पूर्वी चंपारण में। नेपाल से सटे रक्सौल, रामगढ़वा, आदापुर, छौड़ादानो प्रखंड के विभिन्न गांवों में छोटे-बड़े 149 मदरसे थे। बीते 10 वर्षो में 16 नए बने हैं। कुल मदरसों में से मात्र नौ ही निबंधित हैं। इन क्षेत्रों में हिंदुओं के मुकाबले मुस्लिमों की आबादी दो गुनी बढ़ी है। इन इलाकों से सटे नेपाल में स्थिति में ज्यादा बदलाव आया है।

दोनों देशों की खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार नेपाल के परसा, बारा और रौतहट जिले में 300 से अधिक मदरसों का निर्माण हुआ है। इनमें से 45 तो बीते पांच वर्षो के दौरान ही बने हैं। यहां मुस्लिमों की आबादी भी तेजी से बढ़ी है।

पश्चिम चंपारण के मैनाटाड़, गौनाहा और सिकटा प्रखंड के अलावा बगहा दो प्रखंड का वाल्मीकिनगर नेपाल सीमा से सटा है। इन इलाकों में मदरसों की संख्या 25 है। इनमें से आठ बीते 10 साल में बने हैं। मैनाटाड़ प्रखंड के इनरवा बार्डर के समीप भारतीय क्षेत्र के गांवों में बीते 10 साल में मुस्लिमों की आबादी दोगुनी हो गई है।

सिकटा प्रखंड के कठिया-मठिया गांव का हाल भी कुछ ऐसा ही है। अन्य इलाकों में 30 से 35 प्रतिशत मुस्लिम आबादी बढ़ी है।

मधुबनी के जयनगर, बासोपट्टी, लदनिया, हरलाखी, लौकही, मधवापुर प्रखंड में 33 मदरसे हैं। 10 वर्ष पहले इनकी संख्या 20 थी। सीतामढ़ी के बैरगनिया, परिहार, सोनबरसा, मेजरगंज, सुरसंड में सात मदरसे चल रहे हैं।

अररिया में सीमा पर भारतीय क्षेत्र में अधिकांश मदरसे एवं मस्जिदों का संचालन या तो ग्रामीणों द्वारा हो रहा है या सऊदी अरब द्वारा भेजे गए धन से हो रहा है। बताया जा रहा है कि सऊदी अरब की संस्था ऐसे मदरसों की एवं मस्जिदों की सूची अपने पास रखती है और जरूरत पड़ने पर संचालन में मदद भी करती है।

ऐसे मदरसों में नरपतगंज प्रखंड के बड़ा बबुआन, बसमतिया, घूरना, पथराहा, फुलकाहा, सोनापुर, भंगही का आदि के मदरसे एवं मस्जिदें शामिल हैं। सीमावर्ती क्षेत्र के नरपतगंज इलाके में 20 मस्जिदें, आठ मदरसे हैं। जोगबनी क्षेत्र में 10 मदरसे और 18 मस्जिदें हैं। पुलिस अधीक्षक अशोक सिंह का कहना है कि जांच के बाद ही कुछ बताया जा सकता है।

उप्र: भारत-नेपाल सीमा से मिश्रीलाल कोरी की रिपोर्ट है कि खुफिया विभाग ने जताई चिंता

सात जिलों से सटी नेपाल की 550 किलोमीटर सीमा जनसंख्या संतुलन के लिए संवेदनशील होती जा रही है। कुछ क्षेत्रों में मु्स्लिम आबादी बढ़ी है।मदरसों और मस्जिदों की बढ़ती संख्या भी चिंता का विषय है। खुफिया इकाइयों ने यहां आबादी के बिगड़ते संतुलन को लेकर चिंता जताई है। गोरखपुर और उसके आसपास के जनपदों से सटी नेपाल सीमा अधिक संवेदनशील है।

वर्ष 2016 के बाद नेपाल सीमा से सटे भारतीय क्षेत्र में बिना मान्यता वाले मदरसों की संख्या बढ़ती जा रही है।

सिद्धार्थनगर जिले में वर्ष 2000 में 147 मदरसे थे। इस समय 597 हैं, जिनमें 145 का पंजीकरण नहीं है।

महराजगंज जिले में मान्यता वाले 252 मदरसे संचालित हैं लेकिन 84 किमी नेपाल सीमा पर इनकी संख्या इससे डेढ़ गुनी अधिक है।

महराजगंज जिले के लक्ष्मीपुर क्षेत्र के कई मौलाना नेपाल के विभिन्न मदरसों में पढ़ाने के लिए जाते हैं।

सीमा से सटे नेपाल के रूपनंदेही व नवलपरासी जिले में कई मदरसे हैं। बेलासपुर में बड़ा मदरसा है।

नेपाल के भैरहवा में स्थित एक मदरसे में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस (आइएसआइ) के एजेंट के रुकने की सूचना पर दो वर्ष पूर्व पुलिस ने छापेमारी भी की थी।

सिद्धार्थनगर सीमा से सटे दो-तीन किमी क्षेत्र में बीते दो दशक में चार गुना से अधिक मदरसे बढ़े हैं। भारतीय क्षेत्र में सीमा से सटे 784 गांवों के बीच 205 मदरसे तो नेपाल के 157 गांवों के बीच 53 मदरसे हैं।

भारतीय क्षेत्र में 38 मदरसे मस्जिद के साथ संचालित हैं तो नेपाल में नौ। इनकी फंडिंग दुबई व अन्य मुस्लिम देशों से बताई जाती है।

सीमा से सटे नेपाल के कृष्णा नगर मदरसे में वर्ष 1998 में चार कश्मीरी युवक पकड़े गए थे, जिनके तार आइएसआइ एजेंट से जुड़े बताए गए थे। नौगढ़ में 119 तो शोहरतगढ़ में 102 मदरसे हैं।

मदरसों की संख्या और उनके संचालन पर दोनों देशों के अधिकारियों में चर्चा होती रही है, लेकिन चंदे से मदरसों के संचालन पर रोक न होने से कार्रवाई नहीं होती है।

उत्तराखंड से रश्मि प्रभा की रिपोर्ट है कि: सीमावर्ती नेपाली जिलों में बढ़ रही समुदाय विशेष की आबादी

नेपाल के सीमावर्ती जिलों में तेजी से जनसांख्यिकीय बदलाव (डेमोग्राफिक चेंज) हो रहा है। 26 जनवरी 2022 को जारी नेपाल की जनगणना में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। सुरक्षा एजेंसियां इसे सुनियोजित साजिश बताती हैं। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार 2012 से 22 के मध्य नेपाल का पूरा समीकरण बदला है। गोरखा आबादी में 18,860 की कमी आई है।

जनसंख्या वृद्धि दर में तेजी

वहीं भारत से लगते नेपाली जिले कैलाली और कंचनपुर की जनसंख्या वृद्धि दर सामान्य पहाड़ी जिलों के 0.93 के सापेक्ष 1.54 प्रतिशत अधिक है। कंचनपुर की वार्षिक वृद्धि दर 1.32 प्रतिशत दर्ज की गई है। नेपाल के केंद्रीय सांख्यिकी विभाग के अनुसार 2012 में कैलाली की जनसंख्या सात लाख 75 हजार 709 से नौ लाख 11 हजार 155 तक पहुंच गई है। कंचनपुर की जनसंख्या चार लाख 51 हजार 248 से बढ़कर पांच लाख 17 हजार 645 हो गई है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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