नौशाद अली की रिपोर्ट
बरेली। वह आजाद परिंदों की तरह खुले आसमान में जीने की कोशिश कर रही हैं। वह अपने ख्वाब सजा रही हैं, अपनी दुनिया बसा रही है। आइए आपको बताते है ऐसे ही चेहरों के बारे में जिन्होंने मोहब्बत के लिए पैरों में पड़ी उन बेड़ियों को तोड़ने को दुस्साहस किया है। जिनमें उन्होंने सदियों से पीढ़ियों को सिसकते देखा है।
तोड़ दी बेड़ियां, बसा ली दुनिया
शबाना ने मोहब्बत के लिए सारी बेड़ियां तोड़ दी। दबाव बढ़ा तो घर छोड़ प्रेमी रविंद्र के घर पहुंच गई। जिसके बाद धर्म की दीवार तोड़ शबाना ने रविंद्र के लिए सनातन धर्म अपनाया। जिसके बाद उसने हिंदू रीति रिवाज से शादी की। रविंद्र ने उसकी मांग में सिंदूर भरकर उसे सदा के लिए अपना बना लिया। जिसके बाद शबाना संगीता बन गई। और रविंद्र के साथ सदा के लिए दूसरे शहर चली गई। जहां वह अपनी जिंदगी के ख्वाब संवार रही है।
क्रिश्चियन दूल्हा, मुस्लिम दुल्हन, सनातनी शादी
नूर बी जिसने अपनी मोहब्बत के लिए हिजाब से निकलकर धर्म की दीवार को तोड़ दिया। इधर सुमित के लिए भी वहीं सामाजिक मजबूरियां थीं। जिनकी जंजीरों को नूर बी ने उसके लिए तोड़ा था। दोनों ही अपनी दुनिया सजाना चाहते थे। जिसके लिए दोनो ने हिंदू धर्म अपनाकर सनातनी शादी कर ली। नूर बी अब निशा बन गई। जिसके बाद दोनो अपने परिवार की नजरों से दूर किसी शहर में अपनी दुनिया के ख्वाब सजाने निकल गए।
पाया सपनों का राजकुमार
महज तीन साल साथ रहकर मजदूरी कर रहे राजकुमार और अफसाना के बीच प्रेम का ऐसा अंकुर फूटा कि धर्म की दीवार ढ़ह गईं। अपने सपनों के राजकुमार का साथ पाने के लिए हिजाब से निकली अफसाना ने भी सारे बंधन तोड़ दिए। अफसाना ने राजकुमार के लिए सनातन धर्म अपना लिया। इसके बाद दोनों ने सनातन धर्म के अनुसार शादी कर ली। हाथों में मेंहदी मांग में सिंदूर भरने के बाद उसने कहा कि वह अफसाना नहीं अब अंजलि है। जिसके बाद वह ख्वाब सजाने अपने पति के साथ दूसरे शहर चली गई।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."