दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
अलीगढ़, प्रेमिका किरन की हत्या करने वाले आरोपित मनोज ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दीं। आरोपित ने किरन की हत्या करके उसका शव बोरे में भरा। उसे पल्सर बाइक (एचआर 51 एजी 4588) पर रखकर ऊपर से पन्नी लगाई और रस्सी से बांध दिया। इसके ऊपर बच्ची अवनी को बिठा दिया और करीब 60 किलोमीटर दूर चंडौस क्षेत्र में लाकर शव को फेंका। इस बीच बच्ची को एहसास हो गया था कि नीचे बोरे में बंद उसकी मां है। वो हाथ लगाकर बोरे को टटोल भी रही थी। लेकिन, पिता पीछे मुड़ता तो बच्ची सहम जाती थी। बच्चे इतने डर गए थे कि 10 दिन तक कुछ नहीं बोले। बाद में बच्ची ने ही इतना बताया कि उसकी मां को मार दिया है। केस के पर्दाफाश के बाद बच्ची ने पूरी कहानी ये कहकर बताई कि मनोज उन्हें पीटता था। लेकिन, आप लोग (पुलिस) प्यार से बात करते हो। बच्ची ने कहा कि जब मां को मनोज व पूजा मार रहे थे, तो वह रात में किवाड़ के झरोंखे से देख रही थी। सुबह जब मां खाट पर लेटी थी तो उसकी चप्पल जमीन पर पड़ी थी। इसे सुनकर पुलिसकर्मी भी सिहर उठे।
सीओ द्वितीय मोहसिन खान ने बताया कि पुलिस बच्चों को उन्हीं गलियों में लेकर भी घूमी, जहां से वे मिले थे। बच्चों को फेसबुक व इंस्टाग्राम के सैकड़ों फोटो दिखाए गए थे। अचानक एक फोटो पर बच्ची की नजर ठहर गई और उसने पहचान की।
एसी सही कराने के बहाने आरोपित को बुलाया
एसपी सिटी कुलदीप सिंह गुनावत ने बताया कि आरोपित बेफिक्र हो गया था कि अब कभी पकड़ा नहीं जाएगा। जब भी किरन की मां उसे फोन करती तो पहली बार में वह फोन नहीं उठाता था। कुछ देर बाद पलटकर फोन करता और कह देता कि किरन बच्चों के साथ कहीं गई है। पुलिस ने फोन करके आरोपित मनोज को छह सौ की बजाय एक हजार रुपये मजदूरी देने का लालच देकर बुलाया। आरोपित ने गुमराह भी किया। कहा, कि किरन बच्चों को छोड़कर चली गई है। आरोपित मनोज किरन के मायके भी गया था। वहां उसके भाई राहुल व माता-पिता को गुमराह करते हुए बोला कि मेरी शादी नहीं हुई है। मैं किरन को प्यार से रखूंगा।
चाइल्डलाइन ने दिखाई समझदारी
चाइल्डलाइन अक्सर बच्चों को कुछ दिन अपने यहां रखती है। फिर शेल्टर होम में भेज देती है। लेकिन, यहां ऐसा होता तो दोनों अलग हो जाते और शायद ही कभी केस खुलता। चाइल्डलाइन ने समझदारी दिखाते हुए साढ़े तीन माह तक बच्चों को अपने पास रखा। चाइल्डलाइन की टीम को शुरुआत में बच्चों ने बताया कि उन्हें उनके मामा मनोज छोड़ गए हैं। कुछ दिन में बच्चे घुल-मिल गए तो मनोज सागर नाम बताकर पिता का हवाला दिया। ये भी बताया कि वह दिल्ली में किसी जेपी स्कूल में पढ़ते हैं। एक बार बच्चों को टीम दिल्ली भी ले गई थी। केस के पर्दाफाश के बाद दोनों बच्चों को मंगलवार को उनकी नानी कमला व मामा राहुल के सिपुर्द कर दिया गया है।
Author: samachar
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