दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
उन्नाव। गगनी खेड़ा के पास बने कान्हा गोशाला में पालिका की ओर से तीन सैकड़ा से अधिक गोवंश संरक्षित किये गये हैं। अब तेज धूप होने लगी है। जिससे मवेशी परेशान हो रहे हैं। चारे के नाम पर सूखा भूसा ही नसीब हो रहा है। जबकि पालिका प्रशासन का दावा है कि उन्हें भूसे के साथ हरा चारा भी दिया जा रहा है। पड़ताल में देखा गया तो हरा चारा नदारत मिला।
सैकड़ा से अधिक गोवंश पकड़े
विधान सभा चुनाव से पहले जिला प्रशासन के निर्देश पर पालिका ने कान्हा गोशाला में तीन सैकड़ा से अधिक गोवंश पकड़ कर रखे थे। चुनाव खत्म होने के बाद संख्या कम हो गई। शहरी क्षेत्र की हर गली में गोवंश का झुंड देखा जा सकता है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी सैकड़ों की संख्या में गोवंश देखे जा सकते हैं। जो किसानों की फसल बर्वाद कर रहे हैं। जबकि पालिका प्रशासन का कैटिल कैचिंग दस्ता हर रोज गोवंश पकड़ कर गोशाला या फिर उन्नाव भेज रहा है। इसके बावजूद गोवंश कहां से आ रहा है।
306 गोवंश संरक्षित
इसकी जबावदेही पालिका प्रशासन की है। गोशाला के प्रभारी संत कुमार मिश्रा ने बताया कि इस वक्त 306 गोवंश संरक्षित हैं। देख रेख के लिये आठ कर्मचारी लगाये गये हैं। उन्हें खाने के लिये भूसे के साथ हरा चारा दिया जा रहा है। जबकि मौके पर चारे के नाम पर सूखा भूसा पड़ा पाया गया। चोकर खरी भी नहीं दिखी। जबकि पालिका का दावा है कि चोकर भी पर्याप्त मात्रा में दिया जा रहा है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
कान्हा गोशाला में गोवंशों को पूरी तरीके से ख्याल रखा जा रहा है। सरकार से बजट की धनराशि नहीं आई है। गोवंशों के लिये चारा पालिका अपने निजी संसाधनों से कर रही है। भूसे का भंडारण पर्याप्त है।
नरेन्द्र मोहन मिश्रा, अधिशाषी अधिकारी नगर पालिका गंगाघाट
तीस रूपये मिल रहा एक गोवंश का खर्चा
गोवंश के लिये यह है खर्च-वैसे तो एक गोवंश के लिये कम से कम 70 रूपये का चारा एक दिन में खर्च आता है। लेकिन शासन ने तीस रूपये का खर्च दे रखा है। ऐसे में गोवंशों को पेट भर चारा नहीं मिल पा रहा है।
सामान्य डायट इस प्रकार है- एक गोवंश के लिये करीब तीन किलो भूसा, पांच किलो हरा चारा, पांच सौ ग्राम चोकर, ढाई सौ ग्राम खरी होनी चाहिये।
भूसे का भाव पहुंचा आसमान
इस समय भूसा बाजार में पंद्रह रूपये किलो है। जबकि चोकर चौबीस रूपया, खरी बीस रूपये, हरा चारा बारह रूपये किलो बिक रहा है।
Author: samachar
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