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19 January 2025 7:49 am

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आज जमकर एक दूसरे के कपड़े फाड़ कर मनाई जाती है “कपड़ा फाड़ होली”

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अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

प्रयागराज। होली संगमनगरी प्रयागराज की बात के बिना अधूरी ही होगी। प्रयागराज के लोकनाथ और चौक की होली अन्य शहरों की होली से जरा हट कर होती है। यहां होली के दूसरे दिन कपड़ा फाड़ होली होती है। यानी एक तरफ जहां ऊपर से पाइप के जरिए रंगों की बौछार होती है तो दूसरी तरफ हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर डीजे की धुन में थिरकते नजर आते हैं। यहां एक दूसरे के कपड़े फाड़ते हैं और बोलते हैं हैप्पी होली। शनिवार यानी 19 मार्च को प्रयागराज में कपड़ा फाड़ होली मनाई जा रही है। दूर-दूर से लोग इस होली में शामिल होने और देखने के लिए यहां आते हैं।

कोरोना के चलते दो साल से नहीं होती थी ऐसी होली

लोकनाथ होली मिलन संघ के अध्यक्ष निखिल पांडेय बताते हैं बीते दो सालों से कोरोना के चलते हम लोग यह होली नहीं मना पा रहे थे। अब इस बार इसके लिए भव्य तैयारी की गई है। इसमें हर आयु वर्ग के लोग शामिल होते हैं। खास बात यह है कि इस दौरान नेचुरल हर्बल रंगों से ही होली खेली जाती है। कई मिनी ट्यूबवेल से पानी का इंतजाम किया गया है।

इस तरह से होती है इस होली की तैयारी

लोकनाथ और चौक इलाका शहर का सबसे महत्वपूर्ण बाजार है। यहां पूरे जिले से लोग खरीदारी करने आते हैं। होलिका दहन वाली शाम तक यहां बाजार चलता है। रात में दुकानों के बंद होने के बाद रात में ही सफाई होती है। उसके बाद होली के दिन अबीर गुलाल लगाते हैं और दूसरे दिन कपड़ा फाड़ होली मनाते हैं। लोकनाथ के रहने वाले शरद मालवीय बताते हैं कि वह बचपन से ही यह होली देखते आ रहे हैं। यह बिल्कुल अलग होती है।

यहां 40-50 हजार लोग एक साथ नजर आते हैं। करीब 50 स्पीकर लगाए जाते हैं। पांच क्विंटल से भी ज्यादा गुलाब की पंखुड़ियों, 11 क्विंटल अबीर और गुलाल और तीन क्विंटल कागज की कतरने मशीन से उड़ाई जाएंगी। शरद बताते हैं कि यह होली सुबह 10 बजे से दोपहर करीब दो बजे तक होती है। निखिल पांडेय बताते हैं कि यहां होली खेलने के लिए लोग दूसरे शहरों से भी आते हैं। इस बार लखनऊ, दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद जैसे शहरों से लोग यहां पहुंचे हैं।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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