अनिल अनूप की खास रिपोर्ट
किन्नरों की लाइफ आम इंसानों के लिए हमेशा से एक रहस्य है। साहित्यकार डॉ. नीरजा माधव ने 3 साल तक किन्नरों के ऊपर रिसर्च कर कई फैक्ट्स निकाले और उपन्यास ‘यमदीप’ लिखा। इस रिसर्च के दौरान नीरजा अपने पति को घर के बाहर छोड़कर अंदर घंटों किन्नरों से बातें करती थीं। पति ने एक बार दीवार से अंदर झांककर देखने की कोशिश की तो किन्नर ने कहा, ‘चिंता न करो, हम तुम्हारी बीवी का कुछ नहीं बिगाड़ सकते।’
3 साल में किन्नरों के बारे में पता चले ये फैक्ट्स…
किन्नरों में दो वर्ग होते हैं। एक स्त्री और दूसरा पुरुष। स्त्री किन्नर में पुरुष के लक्षण और पुरुष किन्नर में स्त्रियोचित लक्षण होते हैं। ये अपने जेंडर को गोद में लेते ही ऑर्गन देखकर पहचान लेते हैं।
समुदाय में आने के बाद अपने धर्म को मानने की छूट होती है। इस समुदाय की सर्वमान्य देवी है जिन्हें ‘बेसरा माता’ कहते हैं। किन्नर समुदाय इन्हीं की पूजा करता है। इनकी सवारी मुर्गा है।
सभी किन्नर अपनी कमाई का एक हिस्सा अपने गुरु को देते हैं, जो इनके सुख-दुख में काम आता है। क्षेत्रों के हिसाब से एक गुरु होता है, जिसकी बाते सर्वमान्य होती हैं। यही गुरु किन्नरों का क्षेत्र तय करता है।
जिंदगी से निराश और समाज से कटे होने के कारण इनमें नशे की लत पड़ जाती है।
इनकी एक गुरु परंपरा है, जिसमें हर किन्नर अपने गुरु की आज्ञा भगवान की तरह मानता है।
नए किन्नरों को शामिल करने के लिए विधिवत पूजा, अनुष्ठान गुरु करता है। इसके बाद गुरु नए किन्नर को गंडा बांधकर अपने समुदाय में शामिल करता है।
ये अपनी मृत्यु को समाज के सामने नहीं प्रकट करते। मृत्यु के बाद क्या होता है आज भी एक रहस्य बना हुआ है।
ये समाज में कोड लैंग्वेज में बात करते है, जिससे अन्य लोग इनकी बातों को न समझ सकें।
मर्दों को ‘इंसान’ कहते हैं किन्नर
डॉ. नीरजा ने बताया, एक बार मैं पति से बाहर रुकने को कहकर कमरे में चली गईं। मैं घंटों किन्नरों को सिंगार करते देख रही थीं।
काफी देर होने पर मेरे पति डर कर घर की चाहरदीवारी चढ़कर अंदर झांकने लगे। उन्हें झांकते हुए देख किन्नर ने बुला कर ताली बजा अपने अंदाज में कहा कि हम जैसों से काहे डर रहे हो, हम इंसान थोड़े ही हैं।
किन्नर लोग ऐसे व्यक्ति हैं जिनके लिंग की पहचान उनके जैविक सेक्स से संबंधित नहीं होती है, और इस तरह उनके उपांगों की बनावट सामान्य पुरुषों और महिलाओं से भिन्न होती है। ‘किन्नरों’ में यौन अनुस्थापन या शारीरिक सेक्स के लक्षण शामिल नहीं है, लेकिन वास्तव में यह एक लाक्षणिक शब्द है जो लिंग पहचान और लिंग के उपांग से संबंधित है।
इस प्रकार किन्नर लोगों में वो लोग शामिल होतें हैं जिनकी पहचान और व्यवहार रूढ़िवादी लिंग के मानकों का पालन नहीं करती हैं। ये लोग समलैंगिक, विचित्रलैंगिक या लिंग परिवर्तित हो सकते हैं।
भारत में किन्नर
भारत में, किन्नर लोगों में हिजरा/किन्नर (औपचारिक), शिव-शक्ती, जोगप्पा, सखी, जोगता, अरिधी आदि शामिल हैं। वास्तव में, कई ऐसे लोग भी हैं जो किसी भी समूह से संबंधित नहीं हैं, लेकिन व्यक्तिगत रूप से किन्नर व्यक्ति हैं। सभी किन्नर एलजीबीटी समूह (समलैंगिक, समलैंगीय, उभयलिंगी और किन्नर) के अंतर्गत आते हैं। वे भारत में समाज के हाशिए पर बने अनुभाग का गठन करते हैं, और इस तरह कानूनी, सामाजिक और आर्थिक कठिनाइयों का सामना करते हैं।
वास्तव में प्रत्येक व्यक्ति इस ब्रह्मांड में अद्वितीय है, और प्रकृति का एक अभिन्न हिस्सा है। इस प्रकार उन्हें आंँकना और उन लोगों के साथ भेदभाव करना गलत होगा जो लोग शारीरिक बनावट के आधार पर अलग हो सकते हैं और जो फिर से मानव निर्मित हैं।
यह उचित समय है जब भारत को पता चलना चाहिये कि इस देश के प्रत्येक व्यक्ति के पास समान अधिकार और विशेषाधिकार हैं, और सभी लोग “जियो और जीने दो” की नीति का पालन करते हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."