अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
प्रयागराज, हम दुनिया में कहीं भी रहे, कुछ भी करें, लेकिन दिल से कभी अपने देश से दूर नहीं होते। हम पर कोई भी संकट आता है तो सबसे पहले हमें हमारा हिंदुस्तान याद आता है। यूक्रेन और रूस के बीच शुरू हुए युद्ध के बीच जब हम फंस चुके थे तो इतना पता था कि हमें अकेला नहीं छोड़ा जाएगा। जरूरत पड़ी तो इंडियन आर्मी यूक्रेन में दाखिल होगी और हमें बचाएगी। हमने न भरोसा छोड़ा था न उम्मीद और उसका नतीजा है कि आज हम अपने देश लौट आए हैं।
सुरक्षित वतन वापसी के बाद परिवार के साथ मंदिर में किया दर्शन
यूक्रेन के युद्धग्रस्त इलाके से वापस लौटी एमबीबीएस प्रथम वर्ष की छात्रा संस्कृति सिंह ने ए एन आई से बातचीत करते हुए अपनी भावनाएं व्यक्त की। बताया कि भारत से खूबसूरत और यहां से ज्यादा सुकूंन कहीं नहीं है। 24 फरवरी की सुबह छह बजे जब पापा का फोन आया तो उन्होंने कहा कि जल्दी सामान पैक करो और किसी भी हाल में यूक्रेन से निकलो। हम इवानों में थे। यह इलाका पूर्वी यूक्रेन के मुकाबले काफी सुरक्षित था। हम यूरोपियन कंट्री से काफी नजदीक थे। लेकिन एयरपोर्ट आदि को उड़ा दिया गया था। जिसके बाद यहां से जल्द से जल्द निकलना था। हमें बस उपलब्ध कराई गई और बार्डर तक पहुंचे। 26 को हम इवानों से रोमानिया बार्डर पहुंचे। बार्डर पर जाम के कारण हम अपने लगेज के साथ पैदल ही पहुंचे।
इवानों में गर्मी और रोमानिया में बर्फबारी
संस्कृति ने बताया कि इवानों में इस समय हल्की गर्मी थी। हम उसी तैयारी के साथ रोमानिया बार्डर पहुंचे। लेकिन बार्डर पर तापमान माइनस चार डिग्री तक पहुंच गया और बर्फबारी हो रही थी। उसमें खुद को जिंदा रखना ही सबसे बड़ी चुनौती थी। सबसे आश्चर्य की बात मात्र दो घंटे की दूरी पर इतना अधिक मौसम चेंज था। हम दो दिन शेल्टर होम में रहे। इस दौरान रोमानिया के नागरिक हमारी मदद के लिए बार बार पूछते रहे। दूतावास ने हर तरह की व्यवस्थाएं हमें उपलब्ध कराई। (एजेंसी आउटपुट)
Author: samachar
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