रेखा गुप्ता की रिपोर्ट
अलीगढ़। जरूरी नहीं रोशनी चिरागों से ही हो, बेटियां भी घर में उजाला करती हैं। यह पंक्तियां अलीगढ़ की गीता और पूजा पर सटीक साबित होती हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने व पिता को पैरालाइसिस होने की वजह से इन दोनों बहनों ने स्कूल जाने की उम्र भेलपूरी की ढकेल लगाना शुरू कर दिया। दोनों बहनों का भेलपूरी की ढकेल लगाने का फोटो व वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। जिसमें इन बहनों की मदद के लिए अपील भी की जा रही है।
बेटियां मौजूदा दौर में जमीन से लेकर आसमान तक अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए देश-दुनिया में नाम रोशन कर रही हैं। कुछ इसी तरह से अलीगढ़ के मोहल्ला मानिक चौक निवासी पूजा (12) व गीता (11) भी मजूबरी में पढ़ाई छोड़कर छोटी सी उम्र में आत्मनिर्भर बनने की इबारत लिख रही हैं। गीता-पूजा के अनुसार उनके पिता रूपकिशोर भेलपूरी की ढकेल व अन्य मजदूरी का कार्य कर परिवार का जीवन-यापन करते आए थे।
मम्मी-पापा का सपना है कि दोनों बेटियां पढ़-लिखकर काबिल बने और खूब नाम कमाएं। इसी सोच के साथ आगरा रोड स्थित महेश्रवरी गर्ल्स इंटर कॉलेज में दाखिला कराया था। सबकुछ ठीक चल रहा था कि तीन साल पहले 2019 में पिता को पैरालाइसिस का अटैक पड़ा। जो जमा पूंजी थी, उससे पिताजी के इलाज में खर्च किया। अभी भी इलाज जारी है। जमापूंजी से ही कुछ समय तक तो घर का खर्च चलता रहा। अब हालात ऐसे बने कि पिताजी की भेलपूरी की ढकेल को ही स्वयं लगाने की ठानी।
गांधीपार्क बस स्टैंड पर लगाती हैं ढकेल
गीता-पूजा गांधीपार्क बस स्टैंड पर भेलपूरी की ढकेल लगाती हैं। वह बताती हैं कि शाम चार से आठ बजे तक ढकेल लगाने में इतनी ही आमदनी हो पाती है, जिससे लागत निकल आती है। बचत कम ही हो पाती है।
Author: samachar
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