मनोज उनियाल की रिपोर्ट
धर्मशाला। बर्फ पर फिसलती नादानी और खंडहर होती जिंदगी का नासूर अगर मौसम नहीं, तो रोमांच के अंदाज को यह छूट नहीं मिलती कि यूं ही सफर शुरू किया जाए।
धर्मशाला की पहाडियों पर बर्फ के श्रृंगार से मोहित चार युवकों के एक दल ने पुनः अपने ही कदमों को गुनहगार बना लिया। मौसम के बिगड़ते मिजाज से उनका इश्क अंततः ऐसी चोट दे गया कि दो बच्चे जिंदा नहीं लौट पाए।
इससे कुछ दिन पहले भी दो युवा इसी तरह मौसम से रोमांच छीनने की कोशिश में दुनिया छोड़ गए। राइजिंग स्टार हिल टॉप की ओर रुखसत चार बच्चों का दल आखिर अपनी जिंदगी से छेड़खानी करने के लिए खुद जितना दोषी है, उतना ही दोष बचाव के वर्तमान ढर्रे का भी है।
पहला बचाव घर से शुरू होता है जहां बच्चों पर अभिभावकों की जिम्मेदारी का पहरा इतना असर तो रख सकता है कि रोमांच के नाम पर मौत की खिड़कियां न खोली जाएं।
दूसरा पर्वतीय मार्गों पर बिखर रहे पर्यटन की अवांछित हरकतों ने अब इस तरह के अंजाम चुनने शुरू कर दिए हैं। तीसरे, शीतकालीन पर्यटन का मानचित्र बनाते हुए हिमाचल प्रदेश को अपनी शर्तें, बंदोबस्त तथा बचाव के पुख्ता इंतजाम करने होंगे।
चौथे, मौसम संबंधी जानकारियों के हिसाब से प्रदेश को अति सुरक्षित बनाने के लिए और सूचनाएं व सतर्कता चाहिए।
पांचवें, युवा पर्यटन से बढ़ता हिमाचल का रिश्ता कब तक औपचारिक बना रहेगा, जबकि जरूरत यह है कि इसे सही परिप्रेक्ष्य में समझते हुए मंजूर किया जाए और युवा व्यवहार को तसदीक करते हुए सुरक्षात्मक कदम लिए जाएं।
हिमाचल प्रदेश में ऐसे हादसों का हम जिन तथ्यों के आधार पर अन्वेषण करते हैं, उससे कहीं आगे निकलकर इन्हें युवा पर्यटन की गतिविधियों से जोड़कर देखना होगा।
युवा पर्यटक का हिमाचल प्रवेश न तो केवल एक तयशुदा रास्ता है और न ही यह केवल बाहरी राज्यों पर आधारित रह गया है। हिमाचली युवाओं के कारण राष्ट्रीय स्तर पर विकसित होते संपर्क, प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों की पृष्ठभूमि में पलता युवा जोश, युवा आकाश से हटते भौगोलिक प्रतिबंध तथा नए रोजगारों से युवा क्षमता का नया जोश अब पर्यटन यात्राओं और अनुभव की नई पराकाष्ठा लिख रहा है। ऐसे में पारंपरिक पर्यटन को चुनौती देती नई मंजिलें विकसित हो रही हैं और ये गतिविधियां अब निर्बाध रूप से पूरा साल चलने को उतारू हैं। ऐसे में चिन्हित पर्यटन से कहीं आगे सैलानी गतिविधियां निकल रही हैं।
धर्मशाला से निकले युवा कितने गुमराह थे या कितने कसूरवार हैं, इससे पहले यह स्वीकार करना पड़ेगा कि पर्यटन के रोमांच ने खुद को असीमित कर लिया है।
ऐसे में लाजिमी तौर पर मौसम की जानकारियों के साथ हिदायतें और ऐसी गतिविधियों का पंजीकरण आवश्यक हो जाता है। फिलहाल बर्फबारी को अब पर्यटन की दौलत मानकर तो चला जा रहा है, लेकिन मौसम की इस छटा पर चौकसी का इंतजाम पूरा नहीं है।
तमाम साहसिक खेलों या रोमांच के रास्तों पर पर्यटन विभाग को नए प्रबंधन की दृष्टि से मुकम्मल करना होगा। आपदा प्रबंधन के हिमाचली नक्शे पर पर्यटन के बिगड़े मिजाज का मूल्यांकन जरूरी है यानी यह देखा और समझा जाए कि प्रदेश की किन पहाडियों, नदियों, झीलों या क्षेत्रों में सैलानी कभी भी आपदाग्रस्त हो सकते हैं तथा ऐसी स्थिति में किस तरह बचाव अभियान को चलाया जा सके।
पर्यटन की दृष्टि से नित नए व सुदूर क्षेत्रों का चयन निजी तौर पर तो हो रहा है, लेकिन इनकी मान्यता को सुरक्षा कवच पहनाना भी जरूरी है।
राइजिंग स्टार हिल टॉप की बर्फ से आह्लादित हुआ जा सकता है, लेकिन ऐसे स्थलों की मैपिंग किए बिना प्रकृति पर इनसानी फितरत का खेल भयंकर परिणामों से भरा है। प्रदेश की चूड़धार, शिकारी देवी या ऐसी अनेक चोटियों पर मौसम के शृंगार से जो रोमांच पैदा होता है, उससे बढ़ता इश्क घातक है।
अतः अब आपदा प्रबंधन की दृष्टि से हिमाचल में पर्यटन से जुड़ी तमाम ऐसी आशंकाओं का समाधान चाहिए, जो गाहे-बगाहे युवाओं को अवांछित खतरों का शिकार बना सकती हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."