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November 2, 2024 3:08 pm

“मेरे बेटे को रेपिस्ट कहा जा रहा है, मेरा बेटा रेपिस्ट नहीं था” एक मर्मांंतक दास्तान जिसकी भूमिका बदल दी गई है….

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

मैं इस बात से बहुत आहत हूं कि मेरे बेटे को रेपिस्ट कहा जा रहा है। मेरा बेटा रेपिस्ट नहीं था। मैं अपने बेटे के लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ना चाहता हूं। मै चाहता हूं कि सच्चाई समाज के सामने आए कि मेरा बेटे का दोष सिर्फ इतना है कि उसने एक हिंदू लड़की से प्यार किया और अपने प्यार को पाने के लिए धर्म बदलकर हिंदू हो गया। लड़की भी मेरे बेटे से प्यार करती थी। दोनों एक दूसरे पर जान देते थे। उन्होंने आपसी रजामंदी से शादी की थी और पूरी जिंदगी साथ रहना चाहते थे लेकिन मेरे बेटे की जान ले ली गई और उसके ऊपर रेपिस्ट का धब्बा लगा दिया गया।’

आंसुओं में डूबे ये शब्द बिहार के मुजफ्फरपुर के भरवारी के एक गांव में रहने वाले 55 वर्षीय मोहम्मद ताहिर के हैं, जिनके 31 वर्ष के बेटे दिलशाद की 21 जनवरी की दोपहर करीब डेढ़ बजे गोरखपुर के सिविल कोर्ट परिसर के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

गोली मारने वाले भागवत निषाद को उसी समय स्टैंड पर कार्य कर रहे एक कर्मचारी ने पुलिस की मदद से पकड़ लिया था। भागवत निषाद बड़हलगंज के रहने वाले हैं और हाल में फौज से रिटायर हुए हैं।

क्या था मामला

17 फरवरी 2020 को भागवत निषाद ने दिलशाद हुसैन के खिलाफ अपनी बेटी के अपहरण व बलात्कार का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था। तहरीर में लड़की की आयु 18 वर्ष से कम बताई गई थी जिस पर पुलिस ने दिलशाद हुसैन के विरुद्ध पॉक्सो एक्ट भी लगाया था।

केस दर्ज होने के बाद बड़हलगंज पुलिस ने हैदराबाद जाकर दिलशाद को गिरफ्तार किया। इस केस में दिलशाद हुसैन की 17 सितंबर 2020 को हाईकोर्ट से जमानत हो गई थी। उसका मुकदमा गोरखपुर के विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट कोर्ट नंबर चार में चल रहा था।

घटना के दिन 21 जनवरी को इस केस की तारीख थी जिसके लिए दिलशाद कचहरी आए थे। दिलशाद ने दोपहर 1.25 बजे अपने अधिवक्ता शंकर शरण शुक्ल को फोन कर उन्हें मिलने के लिए गेट पर बुलाया। अधिवक्ता से उसकी मुलाकात हो पाती इसी बीच हमलावर ने उनकी कनपटी पर सटाकर गोली मार दिया, जिससे उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई।

महज़ हत्या नहीं ऑनर किलिंग

इस घटना की सोशल मीडिया पर बहुत चर्चा हुई, जहां कुछ लोगों ने दिलशाद को रेपिस्ट बताते हुए उनकी हत्या को जायज ठहराया। भागवत निषाद की की प्रशंसा करते हुए यह भी लिखा गया कि उन्होंने न्याय किया है। कुछ लोगों ने इस घटना को हिंदू-मुस्लिम रंग भी देने की कोशिश की।

मीडिया में इस घटना के बारे में कई गलत तथ्य व सूचनाएं प्रकाशित हुई हैं। मीडिया में यह खबर आई है कि दिलशाद हुसैन एक महीना पहले ही जेल से छूटकर आए थे जबकि तथ्य यह है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट से उन्हें 17 सितंबर 2021 को ही जमानत मिल गई थी।

जिस लड़की के अपहरण व रेप का केस दिलशाद हुसैन पर दर्ज हुआ था, उसे नाबालिग बताया गया है। लेकिन इस घटना में नए तथ्य सामने आए हैं जिससे पता चलता है कि यह घटना ऑनर किलिंग की है।

वकीलों और दिलशाद के परिजनों द्वारा बताए गए नए तथ्यों के अनुसार, दिलशाद ने लड़की से आर्य समाज मंदिर में विवाह किया था। शादी के पहले वे धर्म परिवर्तन कर हिंदू भी बन गए थे और अपना नाम दिलराज रख लिया था। उन्होंने अदालत में अपने पक्ष में शादी का प्रमाण-पत्र और धर्म परिवर्तन के साक्ष्य भी प्रस्तुत किए थे।

शिकायत और दस्तावेजों में विरोधाभास

भागवत निषाद ने बड़हलगंज थाने में 17 फरवरी 2020 को तहरीर देकर दिलशाद हुसैन के खिलाफ दी तहरीर में कहा गया कि ‘11 फरवरी 2020 को उनकी बेटी, जो बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा है, कॉलेज गई लेकिन घर नहीं लौटी। बाद में उनके मोबाइल पर फोन आया कि दिलशाद हुसैन ने उनकी बेटी का अपहरण कर लिया और उसके साथ गलत कृत्यकर अनैतिक कार्य करवा सकता है।’

एफआईआर में लड़की की आयु 18 वर्ष से कम बताई गई है जबकि हाईकोर्ट में जमानत के समय दिलशाद के अधिवक्ता ने कहा कि लड़की की की जन्म तिथि 5-12-98 है और वह घटना के समय बीए द्वितीय वर्ष में पढ़ रही थीं।

पॉक्सो एक्ट कोर्ट में भी दिलशाद ने आर्य समाज मंदिर में किए गए विवाह का जो सर्टिफिकेट साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है, उसमें भी लड़की की जन्मतिथि पांच दिसंबर 1998 है।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."