विकास कुमार की रिपोर्ट
अमृतसर। दिवाली व बंदी छोड़ दिवस के अवसर पर दरबार साहिब को सुंदर रोशनी से सजाया गया है। इसकी खूबसूरती इतनी हो गई कि पूरे दरबार साहिब को एक टक नजर ही देखते रह जाएंगे। दरबार साहिब की इसी खूबसूरती के बाद कहा जाता है- दाल रोटी घर की दिवाली अमृतसर की। आज दरबार साहिब में डेढ़ लाख से अधिक लोग माथा टेकेंगे। शाम का दृश्य तो और भी मनमोहक होगा, जब पूरे सरोवर के चारों तरफ दीपमाला की जाएगी।
पूरे भारत में हिंदू जहां श्री राम के आयोध्या वापसी पर दिवाली मनाते हैं, उसी तरह सिख धर्म में आज के दिन को बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं। इस उपलक्ष्य में पूरे दरबार साहिब को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया है। इससे सोने से बने इस मंदिर की खूबसूरती कई गुणा बढ़ जाती है। देश विदेश से आज के दिन आने वाले श्रद्धालुओं के लिए तैयारियां सुबह से ही शुरु हो जाती है। लंगर में दाल-रोटी के अलावा खीर, जलेबी भी श्रद्धालुओं को परोसी जाती हैं। शाम आतिशबाजी की जाएगी। बढ़ रहे प्रदूषण को देखते हुए दरबार साहिब में इस साल ईको पटाखे ही चलाए जाएंगे।
52 राजाओं को मुगलों की कैद से छुड़ाया था श्री गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने
दिवाली के दिन श्री राम सीता माता और लक्ष्मण जी के साथ रावण पर विजय पाने के बाद आयोध्या लौटे थे। लेकिन सिख इतिहास में आज ही के दिन श्री गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने 52 राजाओं को अपनी सूझबूझ से मुगलों की कैद से छुड़ाया था।
श्री गुरु हरगोबिंद सिंह जी को किया था जहांगीर ने कैद
सिख धर्म के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए बादशाह जहांगीर ने सिखों के 6वें श्री गुरू हरगोबिंद सिंह जी को बंदी बना लिया। उन्हें ग्वालियर के किले में कैद कर दिया जहां पहले से ही 52 हिन्दू राजा कैद थे। लेकिन संयोग से जब जहांगीर ने श्री गुरू हरगोबिंद सिंह जी को कैद किया, वह बहुत बीमार पड़ गया। काफी इलाज के बाद भी वह ठीक नहीं हो रहा था। काजी ने सलाह दी कि वह श्री गुरु हरगोबिंद सिंह जी को छोड़ दें। लेकिन श्री हरगोबिंद सिंह जी ने अकेले जाने से मना कर दिया और सभी राजाओं को रिहा करने के लिए कहा।
जब गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने धारण किया था 52 कलियों वाला कुर्ता
गुरु हरगोबिंद सिंह जी की बात सुनने के बाद जहांगीर ने भी शर्त रख दी कि वही राजा उनके साथ बाहर जाएगा, जो उनके पहनावे की कलि को पकड़ पाएगा। लेकिन श्री गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने एक ऐसा कुर्ता पहना, जिसकी 52 कलियां थी। जिसे पकड़ कर सभी 52 राजे ग्वालियर के किले से बाहर आ गए थे। उन्हीं के आजाद होने पर दिवाली के दिन को बंदी छोड़ दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
Author: कार्यकारी संपादक, समाचार दर्पण 24
हटो व्योम के मेघ पंथ से स्वर्ग लूटने हम आते हैं