संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट समाचार। अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 को लेकर प्रदेशभर में वकीलों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। समाजवादी अधिवक्ता सभा के प्रदेश सचिव क्रांति किरण पांडेय ने इस बिल को वकीलों के अधिकारों पर सीधा हमला बताते हुए इसे संविधान के अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 21 (जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का उल्लंघन करार दिया है।
क्या है अधिवक्ताओं की आपत्ति?
1. हड़ताल पर रोक: बिल की धारा 35ए के तहत वकीलों को न्यायिक कार्यों से बहिष्कार या हड़ताल करने से रोका गया है।
2. बिना सुनवाई निलंबन और भारी जुर्माना: धारा 35 के तहत अधिवक्ताओं पर 3 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है, जबकि धारा 36 बार काउंसिल ऑफ इंडिया को यह अधिकार देती है कि वह बिना उचित जांच के किसी भी वकील को निलंबित कर सके।
3. अधिवक्ता सुरक्षा की अनदेखी: अधिवक्ता लंबे समय से अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम की मांग कर रहे थे, लेकिन सरकार ने सुरक्षा देने की बजाय उन्हें कमजोर करने का षड्यंत्र रच दिया।
सरकार पर हमलावर हुए अधिवक्ता
क्रांति किरण पांडेय ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि जब से यह सरकार सत्ता में आई है, अधिवक्ताओं पर पुलिस का अत्याचार बढ़ गया है। वकीलों की थानों में सुनवाई नहीं हो रही, न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं हो रही, जिससे वादकारी परेशान हैं और न्याय व्यवस्था चरमरा रही है।
समाजवादी सरकार में वकीलों को सम्मान मिला
उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार में अधिवक्ताओं को सम्मान मिला और उनकी समस्याओं को सुना गया, लेकिन वर्तमान सरकार वकीलों को कमजोर करने में जुटी है।
संघर्ष जारी रहेगा
क्रांति किरण पांडेय ने साफ कर दिया कि यह लड़ाई सिर्फ वकीलों की नहीं, बल्कि पूरे न्यायिक तंत्र की है। जब तक सरकार यह बिल वापस नहीं लेती, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की